मामला लगभग 45 लाख की ऋण राशि का है प्राथमिक कृषि सेवा सहकारी समिति मर्यादित चोपना के लापरवाही का नतीजा भुगत रहे हैं गरीब किसान

 *ऋण की राशि जमा करने के बाद भी लगभग 500 किसान कर्जदार उन्हें नहीं मिल पा रही है नया कर्ज*


*(आलेख - वीरेंद्र झा द्वारा*) बैतूल (जिला प्रतिनिधि)


जिस तरह से देश में गरीबी अभिशाप बनी हुई है गरीबी हटाने के लिए देश की आजादी से लेकर अब तक अनगिनत प्रयास एवं योजनाएं बनाई गई और वर्तमान में कई योजनाएं गरीबी हटाने के लिए चल रही है परंतु धरातल पर देखी जाए तो गरीबी हटने का नाम ही नहीं ले रही है ठीक इसी प्रकार किसानों का उत्थान भी है किसानों के साथ भी गरीबी हटाने की जैसी स्थिति है हरित क्रांति से लेकर किसान कर्जा मुक्ति अभियान अर्थात अन्नदाता किसान के लिए अनगिनत योजनाएं परंतु अन्नदाता आज भी दर्द से त्रस्त है आज की स्थिति में देखा जाए तो जिस प्रकार अन्य पेशावर वर्ग के लोगों की लाइफ स्टाइल है उसकी तुलना में बहुत ही कमजोर है आज भी करोड़ों किसानो के पैर में ढंग का जूता चप्पल तक नहीं है । लाभ की खेती सुनने में अच्छी लगती है परंतु वास्तविकता में कुछ भी नहीं है किसान जिस प्रकार से स्थाई पूंजी के रूप में जमीन की कीमत, दिन दूगनी रात चौगुनी दर पर खाद बीज एवं कृषि यंत्र की खरीदी के साथ खेती में लगने वाले स्वयं की मेहनत को पराश्रमिक लागत व अन्य खर्च को जोड़ें तो किसानों को लाभ के बजाय घाटा निरंतर हो रहा है ।इस जद्दोजहद के बाद उसके हाथ में जो धन आता है उस पर भी बाज की तरह निगाहें लगाएं रहते हैं भ्रष्ट बिचोलिए , भ्रष्ट साहूकार, भ्रष्ट कर्मचारी एवं भ्रष्ट अधिकारी। शासन के द्वारा किसानों को साहूकारों के कर्ज से बचाने के लिए कृषि कोऑपरेटिव सोसायटी की योजना लाई गई जो कि काफी हद तक किसानों को सहूलियत दे रही है परंतु कई कोऑपरेटिव सोसायटीओं में भ्रष्टाचार की मायाजाल आए दिन देखने को मिलती है । प्राप्त जानकारी के अनुसार कुछ वर्षों से मध्यप्रदेश के बैतूल जिला मैं चोपना पुनर्वास क्षेत्र स्थित प्राथमिक कृषि सेवा सहकारी समिति मर्यादित चोपना में लचर सेवा एवं किसानों के साथ हो रहे शोषण की समाचार सुनने को लगातार मिल रहा है बताया जाता है कि इस प्राथमिक कृषि सेवा सहकारी समिति चोपना में किसानों के साथ शोषण के छोटे-बड़े कई मामले हैं परंतु वर्तमान में लगभग 500 किसानों के शोषण का मामला गंभीर है । श्री किशोर विश्वास भूतपूर्व संचालक मंडल सदस्य प्राथमिक कृषि सेवा सहकारी समिति मर्यादित चोपना से इस संदर्भ में जानना चाहा तो श्री किशोर विश्वास ने जानकारी देते हुए बताया कि सोसायटी के सदस्य (किसान) फसल लगने से पूर्व सोसाइटी से ऋण लेता है और फसल आने के बाद सोसाइटी को बेचता है , प्राप्त राशि से वही सोसाइटी के द्वारा ऋण कि राशि काट ली जाती है, इसी के तहत कृषि सेवा सहकारी समिति चोपना के लगभग 3000 सदस्य किसानों ने मई 2018 में नगद और खाद सामग्री हेतु ऋण लिया इस ऋण की राशि धान बेचकर किसानों ने नवंबर 2018 में जमा कर दी । परंतु लगभग 400 से 500 के बीच किसानों के ऊपर अभी भी डी एम आर में ऋण बकाया बताया जा रहा है जिसके कारण उपरोक्त किसानों को नई ऋण नहीं मिल पा रही है । इस संदर्भ में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित शाखा शाहपुर के शाखा प्रबंधक लखनलाल बकोडिया से संपर्क करने पर हमारे प्रतिनिधि को बताया कि किसानों ने ऋण की राशि प्राथमिक कृषि सेवा सहकारी समिति मर्यादित चोपना में जमा किया या नहीं यह हमें नहीं मालूम परंतु हमारे डीएमआर अकाउंट में किसानों पर ऋण की राशि बकाया है । समझने लायक बात यह है कि कोऑपरेटिव सोसायटी बैंक ऋण सरकारी समिति को देती है और सहकारी समिति अपने सदस्यों को ऋण देती है किसानों को ऋण की राशि लेना-देना सहकारी समिति करती है परंतु इसका लेखा-जोखा कॉपरेटिव बैंक करती है किस किसान ने पैसा जमा किया और किसने नहीं , ऋण किसे देना है यह भी निर्णय कॉपरेटिव बैंक करती है इसी के कारण लगभग 500 किसान सहकारी समिति एवं कोऑपरेटिव बैंक के बीच फुटबॉल जैसी स्थिति बनी हुई है पैसा जमा करने के बाद भी किसान कर्जदार है और आने वाले फसल के लिए उसे नया ऋण भी नहीं मिल रहा है जो कि उसके परेशानियों का सबब बना हुआ है । यह मामला लगभग 400-500 किसानों को पर बकाया ऋण राशि लगभग 40 से 45 लाख के बीच की जन चर्चा है। जन चर्चा है यह भी है कि इस मामले को जब भी कोई जनप्रतिनिधि प्रकाश में लाता है तो उसे खुश कर दिया जाता है या झूठे आरोप के तहत डरा कर मामला को शांत कर दिया जाता है । इस बकाया ऋण राशि मामला की सत्यता खुली जांच के बाद ही सामने आएगी पर तब तक उपरोक्त किसान हैरान और परेशान । श्री रामकिशन सरकार ( पूर्व सदस्य संचालक समिति - प्राथमिक कृषि सेवा सहकारी समिति मर्यादित चोपना एवं चौपना पुनर्वास क्षेत्र के भाजपा वरिष्ठ नेता) उपरोक्त मामले के संदर्भ में कहना है कि जिन किसानों ने कर्जा का भुगतान कर दिया गया फिर भी उन पर कर्जा की राशि बकाया बताया जा रहा है जो घोर निंदनीय है । लगभग 2 वर्षों से किसान उपरोक्त मामले के कारण आर्थिक एवं मानसिक रूप से त्रस्त है । श्री रामकिशन सरकार का कहना है कि सर्वप्रथम इन किसानों का डीएमआर में भुगतान जमा बताया जाए जिससे किसान को मुक्ति मिले यदि इसका निराकरण शीघ्र नहीं हुआ तो हम किसान भाई संवैधानिक रूप से धरना प्रदर्शन एवं न्यायालय के शरण में जाएंगे । _


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