अपनी सारी ज़िन्दगी, परिवार के नाम कर गया,
अरे जल्दी ले जाओ कौन रखेगा सारी रात.....
खुश्बुदार फूलों की माला होगी....
अखबार में अश्रुपूरित श्रद्धाञ्जलि होगी.........
बाद में कोयी उस तस्वीर पे, जाले भी नही करेगा साफ़....
जिन्दगी भर, मेरा- मेरा- मेरा किया....
अपने लिये कम , अपनों के लिए ज्यादा जीया....
क्या तिनका ले जाने की भी, है हमारी औकात ???