सारे इत्रो की खुशबू, आज मंद पड गई। मिटटी में बारिश की बूँदें, जो चंद पड गई।

(श्रीमती मोनिका उपाध्याय- पचमढ़ी/होशंगाबाद)


*सारे इत्रो की खुशबू, आज मंद पड गई। मिटटी में बारिश की बूँदें, जो चंद पड गई।


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