भाजपा ने लोकतंत्र का गला घोंटा है इसलिए उपचुनावों के जरिए लोकतंत्र की वापसी का प्रयास होगा।

कांग्रेस ये उपचुनाव करो या मरो की भावना से लड़ने का मन बना रही है।


प्रदेश में होने वाले विधानसभा के 27 उपचुनावों में कांग्रेस एक साथ तीन स्तरों पर पैनी नजर रखते हुए चुनावी लड़ाई को सघन बनाने की रणनीति के तहत प्रचार अभियान और मतदाताओं से संपर्क पर विशेष जोर देने वाली हैउसने अपने चुनिंदा नेताओं और कार्यकर्ताओं को सुनिश्चित जिम्मेदारियां देकर बूथों पर तैनात करना प्रारंभ कर दिया है। कांग्रेस ये उपचुनाव करो या मरो की भावना से लड़ने का मन बना रही हैवह भली-भांति जानती है कि यदि उपचुनावों में उसे वांछित सफलता नहीं मिली तो फिर लंबे समय तक उसका सत्ता से वनवास हो सकता है।


कांग्रेस सोशल मीडिया को एक कारगर हथियार मानते हुए उसकी धार पैनी करने की मशक्कत में भिड़ गई है। इसके लिए इस विषय के पार्टी विशेषज्ञ प्रशिक्षण दे रहे हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा और सोशल मीडिया सेल के अध्यक्ष रोहित गुप्ता ने दिल्ली से आकर कांग्रेस के प्रदेश मीडिया विभाग के पदाधिकारियों को उपचुनाव की दृष्टि से कुछ गुर सिखाए। शहरी इलाके से लेकर ग्रामीण अंचल तक सोशल मीडिया पर कैसे प्रचार अभियान चलाया जाए और वहां की परिस्थिति के अनुकूल प्रभावी बनाने के बारे में बतायारोहित गुप्ता व उनकी टीम ने तकनीकी और छोटे-छोटे समूह बनाने का सुझाव दिया। रोहित गुप्ता ने इस प्लेटफार्म पर अपनी गतिविधियां और दायरा बढ़ाने पर भी जोर दिया। कांग्रेस का पूरा जोर इस बार सोशल मीडिया पर है ताकि वह भाजपा जिसे इस मामले में विशेषज्ञता हासिल हो चुकी है उसका उसी अंदाज और लहजे में सामना कर सके। अक्सर यह देखने में आया है कि भाजपा के प्रवक्ता अधिक आक्रामकता से अपनी बात विभिन्न न्यूज़ चैनल की डिबेट में रखते हैं और अब कांग्रेस भी अधिक आक्रामक मूड में इसमें नजर आए इसके लिए प्रवक्ताओं को भी कुछ गुर सिखाए गए। अब प्रदेश में कांग्रेस ही यह तय करेगी किस डिबेट में किस चैनल पर कौन प्रवक्ता जाएइसका फैसला पार्टी की एक टीम करेगी। प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष मीडिया प्रभारी जीतू पटवारी का कहना है कि कांग्रेस की विचारधारा को आम जनता तक पहुंचाने का काम प्रवक्ता कर रहे हैं 


सोशल मीडिया के माध्यम से कमलनाथ सरकार की उपलब्धियों के साथ ही अन्य मुद्दों पर भाजपा को घेरने की पार्टी की रणनीति है। उपभोक्ताओं के पास आ रहे बिजली के भारी-भरकम बिलों को कांग्रेस एक बड़ा मुद्दा बनाकर शिवराज सरकार के सामने परेशानियां खड़ी करने का हर संभव प्रयास करेगी। इसके लिए सोशल मीडिया के सभी प्लेटफार्म का भी भरपूर उपयोग किया जाएगाइसके साथ ही पार्टी अघोषित बिजली कटौती को भी एक अहम मुद्दा बनाएगीयह एक ऐसा मुद्दा है जिसे कांग्रेस उपचुनावों में भुनाने की कोशिश करेगी। भाजपा भी लोगों में इसको लेकर व्याप्त नाराजगी से चिंतित है। भाजपा के कुछ विधायक और खासकर 27 क्षेत्रों में जो चुनाव लड़ने वाले हैं वह सभी नेता शिवराज को आपसी मुलाकात में इस समस्या से अवगत करा चुके हैं। दूसरी ओर कांग्रेस ने भारी भरकम बिजली बिल और कमलनाथ सरकार द्वारा शुरू की गई इंदिरा गृह ज्योति योजना को बंद करने को चुनावी मुद्दा बनाने का तय किया है। कमलनाथ सरकार में ऊर्जा मंत्री रहे विधायक प्रियव्रत सिंह का कहना है इसे हम चुनावी मुद्दा बनाएंगे क्योंकि इंदिरा ज्योति योजना से प्रदेश के 98 प्रतिशत उपभोक्ता खुश थे। भाजपा सरकार ने यह योजना बंद कर दी है। भाजपा प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का दावा है कि हमारी सरकार ने उपभोक्ताओं को बड़ी राहत दी है और जिन के 400 तक बिल आ रहे हैं उन्हें आधी राशि का ही भुगतान करना पड़ रहा है। हमारी सरकार में लोगों को 24 घंटे बिजली मिल रही है जबकि कमलनाथ सरकार में क्या हालत थी सबको मालूम है


सत्ता में वापसी का सपना देख रही कांग्रेस अपने कुछ बड़े नेताओं को चुनाव मैदान में उतारना चाहती हैइनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव, अशोक सिंह, रामनिवास रावत, प्रेमचंद गुड्डू, चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी के अलावा शिवराज सरकार के पूर्व मंत्री के एल अग्रवाल शामिल है। जहां तक चौधरी राकेश सिंह का सवाल है उन्हें मेहगांव से उम्मीदवार बनाने का स्थानीय कांग्रेस नेता ही नहीं बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, पूर्व मंत्री डॉ. गोविंद सिंह आदि विरोध कर रहे हैं। पूर्व नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे के पुत्र पूर्व विधायक हेमंत कटारे भी इस क्षेत्र में टिकट के दावेदार हैं। कांग्रेस की कोशिश कुछ और भाजपा नेताओं को पार्टी में लाकर उम्मीदवार बनाने की है जिनमें पारुल साहू प्रमुख बताई जाती है। सूत्रों के अनुसार पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती भी राज्य की राजनीति में आने मुख्यमंत्री उमा भारती भी राज्य की राजनीति में आने की इच्छुक हैं और अटकलें लग रही हैं कि वह बड़ामलहरा से चुनाव लड़ सकती हैं। उमा भारती का मामला भाजपा हाईकमान तय करेगा लेकिन उनके चुनाव लड़ने की अटकलें इसलिए चल पड़ी है क्योंकि वहां के कांग्रेस विधायक प्रधुम्न सिंह लोधी विधायक पद से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए और नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष बन गए हैं। लोधी उमा भारती के काफी नजदीक हैं और उनकी पहल पर ही लोधी भाजपा में आए हैं। और अंत में..


और अंत में..


कांग्रेस के सोशल मीडिया में सक्रिय होने और नेताओं द्वारा प्रशिक्षण देने पर व्यंग्य करते हुए पूर्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता उमाशंकर गुप्ता ने कहा कि अच्छी बात है कांग्रेस कुछ कर रही है परंतु एक सबसे बड़ी बात यह है कि कांग्रेस पार्टी में प्रशिक्षण लेने के लिए कोई बचा नहीं है और वह पूरी तरह जमीन से कट गई है। कांग्रेस द्वारा अपने बड़े नेताओं को चुनाव मैदान में उतारने पर प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि अभी अंतिम तौर पर कुछ तय नहीं हुआ है लेकिन कांग्रेस चुनाव जीतने के लिए हर संभव कोशिश करेगी।


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