कमलनाथ सरकार दल-बदल के कारण सत्ता से हट गई और 15 माह के अंतराल के बाद फिर शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बनें।

अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के जन्म स्थान पर भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन कर लोगों की चिर प्रतीक्षित इच्छा की पूर्ति का मार्ग प्रशस्त कर


इसके साथ ही अब एक सवाल यह उठ रहा है कि प्रदेश में राम वन पथ गमन अब कब पूरी गति से आकार लेता नजर आएगाइसकी घोषणा 2007 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की थी तथा घोषणा के कुछ साल बाद तक बात आगे बढ़ी लेकिन फिर उसके बाद यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई। जब उदार हिंदुत्व की राह पर कांग्रेस ने धीरे- धीरे अपने कदम बढ़ाना चालू किया तब 2018 के विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस पार्टी ने मतदाताओं से वायदा किया कि यदि प्रदेश में उसकी सरकार बनी तो वह राम वन गमन पथ को एक आकर्षक धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करेगी। चुनाव की पूर्व बेला में एक यात्रा भी इसी उद्देश्य से कांग्रेस ने निकाली थीकमलनाथ सरकार दल-बदल के कारण सत्ता से हट गई और 15 माह के अंतराल के बाद फिर शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बनें। जब राम मंदिर का भी भूमि पूजन हो गया तब यह सवाल उठता है कि राम वन गमन पथ का निर्माण शिवराज सरकार के एजेंडे में कब प्राथमिकता से आयेगाए क्योंकि मूल रूप से इसकी कल्पना शिवराज ने ही की थी। छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल के नेतृत्व में बनी कांग्रेस सरकार ने ऐसा कोई वायदा नहीं किया था लेकिन राम मंदिर भूमि पूजन की पूर्व बेला में उन्होंने छत्तीसगढ़ में आने वाले राम वन गमन पथ को विकसित करने का ऐलान कर दिया है। शिवराज ने इसकी घोषणा अक्टूबर 2007 में की थी2018 के बाद जैसे ही प्रदेश में कांग्रेस की सरकार कमलनाथ के नेतृत्व में बनी उसने इसे पूरा करने में दिलचस्पी दिखाई।


देखने में यह आया है कि जिस व्यक्ति की इसमें विशेष रूचि होती है वह इस काम को आगे बढ़ाने में भी दिलचस्पी दिखाता है।शिवराज सरकार में तत्कालीन संस्कृति मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने पूरी संजीदगी के साथ मार्ग को चिन्हित करवायाए उसकी रिपोर्ट बनवाई और इसे विकसित करने की न केवल रूपरेखा बनी अपितु गति से काम भी प्रारंभ हए। 2013 का विधानसभा चुनाव लक्ष्मीकांत शर्मा हार गए और उसके कुछ समय बाद यह मामला भी ठंडे बस्ते में चला गया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने 2018 के विधानसभा चुनाव के वचनपत्र में राम वन गमन पथ को विकसित करने का वायदा किया। कमलनाथ सरकार ने इस कार्य के लिए 600 करोड़ रुपए की योजना बनाई और 22 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान किया। कमलनाथ ने अध्यात्म विभाग का गठन किया और साथ ही अन्य धार्मिक स्थलों के विकास की योजनाएं भी बनाई। यह संयोग ही है कि शिवराज के कार्यकाल में लक्ष्मीकांत शर्मा ने गहरी रूचि ली और कमलनाथ ने यह विभाग मंत्री पीसी शर्मा को सौंपा तो उन्होंने भी इसमें रुचि ली और योजना ने एक निश्चित आकार लियामध्यप्रदेश में चित्रकट से लेकर अमरकंटक तक 350 किलोमीटर लंबे राम पथ का निर्माण होना हैजब 2007 में शिवराज ने एलान किया उस समय मध्यप्रदेश में ही राम पथ बनना था क्योंकि छत्तीसगढ़ में डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा की सरकार ने इस मामले में कोई घोषणा नहीं की थी। शिवराज ने घोषणा की थी लेकिन अंतिम परिणति तक नहीं पहुंचा पाए। अब वह फिर से मुख्यमंत्री बन गए इसलिए देखने वाली बात लेकिन अंतिम परिणति तक नहीं पहुंचा पाए। अब वह फिर से मुख्यमंत्री बन गए इसलिए देखने वाली बात यही होगी कि वह क्या अपनी पुरानी घोषणा को जिसकी सुध कमलनाथ ने ली उसे कब तक पूरा करा पाएंगे। कमलनाथ सरकार ने जो प्रोजेक्ट बनाया उसके अनुसार राम वन गमन पथ चित्रकूट से आरंभ होकर पन्नाए कटनीए जबलपुर जिलों से होता हुआ अंत में अमरकंटक को विकसित करने तक प्रस्तावित है। कमलनाथ की सोच इसे पूरी तरह से धार्मिक तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करने की थी और उसी अनुरूप प्रोजेक्ट भी बनाया गया था। इस योजना को इस रूप में आकर देना शामिल था जिससे कि राम पथ पर जाने वाली आस्थावान धर्म प्रेमी जनता को यह महसूस हो कि भगवान राम इस रास्ते से गुजरे थे


शिवराज ने अक्टूबर 2007 में चित्रकूट में राम वन गमन पथ के विकास की घोषणा की थी और पता लगाने के लिए 11 सदस्यीय समिति का गठन किया था। विभागीय मंत्री के रूप में लक्ष्मीकांत शर्मा ने इसमें विशेष रूचि ली और 2010 में समिति ने अपना कार्य पूरा किया और 33 करोड़ रुपए का प्रस्ताव सरकार को सौंप दिया था। प्रस्ताव के अनुसार कुछ काम भी प्रारंभ हए लेकिन बाद में यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई।


और अंत में.....


मध्यप्रदेश में बढ़ते अपराधों को लेकर पुलिस प्रशासन के विरोध में लोगों का सामने आकर अपनी नाराजगी व्यक्त करना एक प्रकार से आम बात हो गई। हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि अब सत्ताधारी दल भाजपा के पूर्व विधायक विजय बहादुर सिंह को छतरपुर में जिला पुलिस अधीक्षक के कार्यालय में धरने पर बैठना पड़ा। गोरिहर थाना प्रभारी सरिता वर्मन पर हत्या के आरोपियों को बचाने का आरोप लगा है। एसपी ने निष्पक्ष कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। सवाल यही उठता है कि आखिर में आला पुलिस अधिकारी या प्रशासन उस समय ही क्यों अचानक हरकत में आ जाता है जब धरना प्रदर्शन की नौबत आ जाती है।


 


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