गुरू ब्रम्हा गुरू विष्णु गुरूदेवोः महेश्वरः, गुरू साक्षात् परमब्रम्हा तस्मै श्री गरूवे नमः - दैनिक रोजगार के पल परिवार के तरफ से राष्ट्र के सभी शिक्षकों को शिक्षक दिवस की बहुत सारी शुभकामनाएं


शिक्षक दिवस पर विशेष आलेख


दिनेश साहू



(लेखक दैनिक रोजगार के पल के प्रधान संपादक है)


मेरा जन्म एक शिक्षक परिवार में हुआ था मेरे पिता शिक्षक थे, मरे बड़े भाई साहब शिक्षक थे, मेरी बड़ी बहन शिक्षक थी, मै स्वयं भी शिक्षक था, मेरी बड़ी भाभी वर्तमान में शिक्षक है, और मेरी पत्नि भी वर्तमान में शिक्षक है मैने बचपन से ही देखा और महसुस किया है कि एक शिक्षक का परिवार कितने अभावग्रस्त जीवन व्यतीत करता है


आज शिक्षक दिवस है जिसे संपूर्ण भारत वर्ष में माना जाता है हम सभी देशवासी आज के दिन शिक्षकों को बधाई देते हैं और फिर पूरे साल भर भूल जाते हैं कि ये ही शिक्षक है जो हमें शिक्षित कर समाज में मान सम्मान से जीने योग्य बनाते हैं जिनकी शिक्षा पाकर हम जीवन की हर उंचाईयों की बुलंदी को आसमान तक ले जाते हैं। परंतु इसके बदले उन्हें क्या मिलता है इसके बारे में विचार करने वाला हमारे देश में कोई नहीं है ना तो प्रशासन और ना ही नेता। 


मेरा जन्म एक शिक्षक परिवार में हुआ था मेरे पिता शिक्षक थे, मरे बड़े भाई साहब शिक्षक थे, मेरी बड़ी बहन शिक्षक थी, मै स्वयं भी शिक्षक था, मेरी बड़ी भाभी वर्तमान में शिक्षक है, और मेरी पत्नि भी वर्तमान में शिक्षक है मैने बचपन से ही देखा और महसुस किया है कि एक शिक्षक का परिवार कितने अभावग्रस्त जीवन व्यतीत करता हैवर्तमान समय में ऐसा हो रहा है कि पति और पत्नि दोनों नौकरी करते है जिससे एक ही व्यक्ति पर परिवार के भरण पोषण की जिम्मेदारी नहीं होती है परंतु मेरा बचपन ऐसे समय में व्यतीत हुआ है जब 90 प्रतिशत पुरुष ही नौकरी करते थे और परिवार के भरण पोषण की जिम्मेदारी एक ही व्यक्ति पर होती थी, संयुक्त परिवार हुआ करते थे और शिक्षकों को वेतन भी बहुत कम मात्रा में मिलती थी परिणाम स्वरूप एक शिक्षक का परिवार अभावग्रस्त जीवन व्यतीत करता थाअपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना तो दुर की बात है परिवार का भरण पोषण ही बहुत कठिनाई से होता था। मै यह बचपन से ही यह देखता रहा हूँ कि शिक्षकों के बारे में सोचने वाला मुझे आज तक भारत में ऐसा कोई भी जिम्मेदार नहीं मिला कि वह बड़े पुरजोर तरीके से ये कह सके कि शिक्षकों के प्रति मै यह एक अच्छा कार्य करने की वकालत करता हूँ और मै यह कार्य करने के लिये भारत सरकार या राज्य सरकार पर दबाव बनाउंगाI


यह बड़ा ही विचारणीय मसला है कि हम शिक्षकों से ज्ञान प्राप्त कर सम्मानजनक जीवन जीते तो हैं परंतु हम उनके हितों के बारे में थोड़ा सा भी विचार करना उचित नहीं समझते हैं।


भारतवर्ष में हम शिक्षकों को गुरु का दर्जा देते हैं और प्राचीन काल में तो शिक्षकों को गुरु ही कहा जाता था,ऐसा कहा जाता है कि गुरू दीपक की तरह स्वयं जलकर संपूर्ण ब्रम्हांड को प्रकाशित करता है गुरू का अर्थ है ज्ञान प्रदान करने वाला और हमें जहां से भी ज्ञान प्राप्त हो जो भी हमें ज्ञान प्रदान करे वह गुरू ही कहलाता है फिर चाहे वो आपके माता पिता, भाई - बहन, मित्र शिक्षक या आप जिसके नेतृत्व में कार्य करते है या फिर आपके नेतृत्व में कार्य करने वाला आपका कर्मचारी ही क्यों न हो वह गुरू ही कहलाता है। जिससे हमें अपने जीवन में कुछ ना कुछ सिखने को मिलता है वह हमारे लिये गुरू ही होता है।


और ब्रम्हांड के ऐसे सारे गुरूओं को मेरा सादर नमन् और भारतवर्ष के समस्त शिक्षकों को शिक्षक दिवस की एक बार पुनः बधाई एवं शुभकामनाएंI


मेरा प्रण है कि मेरे जीवनकाल में जिस दिन भी मैं इस योग्य बना कि मै किसी के लिये कुछ कर सकुं तो मै सर्वप्रथम शिक्षकों के हित में एक कार्य अवश्य करूंगा। और मेरा भारतवर्ष के समस्त जनता से विनम्र अपील है कि वे लोग भी शिक्षकों के हित के बारे में कुछ ना कुछ अवश्य सोचें अगर हम ऐसा करते हैं और शिक्षकों का कुछ कल्याण होता है तो निश्चित ही एक सुसभ्य समाज का निर्माण अवश्य होगाI


धन्यवाद


( ये लेखक के अपने निजी विचार है )


 


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