आज की कटु अनुभूति - हृदय-विदारक ये घटनाएं "हाथरस गैंगरेप" मेरे नारी-मन को झकझोर के रख देतीं हैं,"निर्भया" जैसे अनगिनत घ्रणित कृत्य देश के गौरव को,, भारत के पौरुष को शर्मशार कर देते हैं - आलेख श्रीमती श्रद्धा गुप्ता


 हा! हा!! ये विडंबना हायरे!


ये गहरी वेदना क्यों मर गयी है


चेतना क्यों शून्य है


निश्चेतना कुछ पशु रूपी पुरुष,


जो पशुओं से भी बद्तर,


देते हैं गाली मां को, उस कोख को शर्मिंदा कर।


इससे घ्रणित कोई कृत्य न ये कितनी नीच हरकत?


इन नपुंसक पुरुषों पर, क्यों मौन साधे हैं सब?


फांसी की सज़ा भी,


इस गुनाह से है कमतर


माफी के काबिल ऐसे,


अपराध नही होते!!


ज्वाला धधक रही है,


रग-रग में जल रही है!


हा! हा! रे ये विवशता,


भारत का खोता पौरुष!!


जितना भी लिखूं कम है..


बस आंख मेरी नम है...


उस पीड़िता का दर्दो-ग़म


"सिद्धि" में जलते पल-पल....


 श्रद्धा "सिद्धि"


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