न्यायालय कलेक्टर बैतूल में प्रारंभ कब होगी सुनवाई

अतिआवष्यक मामलों में सुनवाई जारी हैंए जमानत एवं वाहन के सुपुर्वनामें के आवेदन पत्रों का निराकरण जारी रखा गया हैंए अदालतें केवल गवाही से दूर हैं लेकिन पुनरीक्षण याचिकाएं सुन रहीं हैं


बैतूल। भारत में करोना लाक डाउन लगने के बाद भी सुप्रीम कोर्टए हाई कोर्ट एवं जिला न्यायालय ने वीडियों कानफ्रेंसिंग के जरिए न्याय दान के पवित्र कार्य को जारी रखा हैं। अतिआवष्यक मामलों में सुनवाई जारी हैंए जमानत एवं वाहन के सुपुर्दनामें के आवेदन पत्रों का निराकरण जारी रखा गया हैंए अदालतें केवल गवाही से दूर हैं लेकिन पुनरीक्षण याचिकाएं सुन रहीं हैं। भारत की अदालते यथा संभव संविधान के अनुच्छेद 21 शीघ्र विचारण के अधिकार का पालन कर रहीं हैं। राजस्व न्यायालय कलेक्टर बैतूल इसका एक अपवाद साबित हो रहे हैं। भारत सरकार ने जब से करोना कोविड - 19 लाक डाउन घोषित किया था तब से आज पर्यंन्त तक न्यायालय कलेक्टर बैतूल के पीठासीन अधिकारी डैक्स पर बैठे नहीं हैंकिसी भी मामले की विधिवत् सुनवाई नहीं की हैं। लाक डाउन घोषित होने के पूर्व तक अदालत नियमित साप्ताहिक सुनवाई करते रहीं हैं। लाक डाउन के दौरान राज्य सरकार द्वारा राजस्व अदालतों में सुनवाई की कोई वैसी व्यवस्था नहीं की थी जैसा कि न्यायपालिका ने अपने अधीनस्थ न्यायालयों में आम जनता के लिए अति आवष्यक मामलों पर सुनवाई की व्यवस्था की हैं।


राजस्व न्यायालय में सुनवाई नहीं होने के कारण पक्षकार तो परेषान हैं ही साथ में उनके अधिवक्ता भी परेषान हो रहे हैं। खनिज अपराध के कुछ मामले लाक डाउन के पूर्व के हैं तो कुछ मामले लाक डाउन के दौरान के हैं तो कुछ मामले लाक डाउन खुलने के बाद के हैं। खनिज अपराध के कुछ मुकदमें खनिज विभाग ने पेष जरूर कर दिए हैं लेकिन वे मुकदमें अदालत में आवष्यक सबूत के अभाव में चलने योग्य नहीं हैंए तो कुछ मुकदमों में वैधानिक दोष मौजूद हैं जिस कारण चलने योग्य नहीं हैंखनिज के मुकदमों में बचाव पक्ष के अधिवक्तागण ने प्रकरण की प्रचलनषीलता पर आपत्तियां दर्ज करवा कर रखी हैं जिनका कोई निराकरण होता नहीं दिख रहा हैं। राजस्व न्यायालय में पेषी दर पेषी मामले आगे बढ़ रहे हैं। पीठासीन अधिकारी सुनवाई के लिए खुली अदालत में बैठ नहीं रहे हैं। कानून एवं न्याय के विषय के पर अधिवक्ता को सुना नहीं जा रहा हैं। खनिज अपराध में डम्पर एवं मषीने पुलिस थानों में खड़े हैं। अदालत में सुनवाई की कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण ज्यादातर मामलों में वाहन मुक्त करवाने की नियत से वाहन स्वामी एवं चालक अर्थदण्ड आरोपित करने के लिए आवेदन पेष कर रहे हैं। वैसे तो मुकदमों में दोनो पक्षों को सुनवाई का अवसर देने के बाद ही अदालत अर्थदण्ड अथवा दोषमुक्ति का आदेष देती हैं लेकिन अभी तो मौजूदा व्यवस्था में मजबूर पक्षकार अर्थदण्ड की याचना अदालत से कर रहा हैं। अर्थदण्ड राषि जमा करने के बाद ही दांडिक न्यायालय से वाहन सुपुर्दनामा पर मुक्त हो रहा हैं


न्यायालय कलेक्टर बैतूल के पीठासीन अधिकारी भले ही खुली अदालत में सुनवाई नहीं कर रहे हैंए खुली अदालत में सुनवाई का महत्व जरूर होता हैं लेकिन अर्थदण्ड की याचना को अदालत स्वीकार कर रहीं हैं और सरकारी खजाना तो भर रहा हैं। इधर नर्मदापुरम संभाग आयुक्त होषंगाबाद की अदालत में अपील एवं रिविजन पर सुनवाई तो जारी हैं जिसमें अधिवक्ता को कानून एवं न्याय के विषय पर सुना जा रहा हैंए सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायदृष्टांतो पर चर्चा भी हो रहीं हैं। बैतूल जिले में न्यायालय कलेक्टर बैतूल की स्थिति ठीक इसके विपरीत हैं। खनिज अपराध के अधिवक्ता भारत सेन कहते हैं कि न्यायालय कलेक्टर बैतूल की अदालत से जारी कारण बताओं सूचना पत्र के जवाब के साथ प्रकरण की प्रचलनषीलता पर आपत्तियां भी दाखिल की गई हैं जिसके समर्थन में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के फैसले पेष किए गए हैं। कोयले के अवैध परिवहन के मामलों में कलेक्टर बैतूल को खान एवं खनिज अधिनियम 1957 में अर्थदण्ड आरोपित करने की कोई पावर नहीं हैं फिर भी मामले चल रहे हैं। इसी तरह से भू राजस्व संहिता की धारा 247 :7द्ध के अंतर्गत जारी कारण बताओं नोटिस का जवाब एवं आपत्ति दाखिल की कई हैं लेकिन अधिवक्ता को कानून एवं न्याय के विषय पर सुना नहीं जा रहा हैं जबकि खनिज अपराध में जप्तषुदा वाहन पुलिस थानों में लंबी अवधि से खड़े हैं। राजस्व न्यायालय के पीठासीन अधिकारी खुली अदालत में पर्याप्त दूरी बनाकर भी सुनवाई करें तभी अधिवक्ता कानून एवं न्याय के विषय पर अपना पक्ष रख सकता हैं


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