सद्भावना में कही गई बात पर विवाद खड़ा करके उसमें जजों को खींचने से बचा जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा ने शुक्रवार को खुली अदालत में ये बात कही. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस मिश्रा का इशारा 22 फरवरी को इंटरनेशनल ज्यूडिशियल कॉन्फ्रेंस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ़ के बाद उठे विवाद पर था. अंतरराष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन 2020 को संबोधित करते हुए जस्टिस मिश्रा ने कहा था, "हमारी सबसे बड़ी चिंता चिंता है कि लोग गरिमापूर्ण तरीके से रहें. हम बहुमुखी प्रतिभा वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुक्रिया अदा करते हैं जो वैश्विक सोच रखते हैं और स्थानीय स्तर पर काम करते हैं. पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय का एक ज़िम्मेदार सदस्य है." जस्टिस मिश्रा के बयान के बाद कई हलकों में इसकी आलोचना हुई थी. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने जस्टिस मिश्रा की टिप्पणी की आलोचना करते हुए कहा था कि इससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर नकारात्मक असर पड़ेगा. शुक्रवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस मिश्रा ने एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा कि क्या वे ख़ान मार्केट के पास रहते हैं. इस पर अभिषेक मनु सिंघवी ने जवाब दिया, "मैं लुटियन दिल्ली काफी पहले छोड़ चुका हूं लेकिन कभी-कभी ख़ान मार्केट जाना होता है. इन दिनों ये एक गाली बन गई है. मुझे ख़ान मार्केट एलीट कहलाने से कोई दिक्कत नहीं है." तब जस्टिस मिश्रा ने कहा, "अच्छे शब्दों के इस्तेमाल को उनकी पूरी भावना में ही देखा जाना चाहिए. मैं आपके लिए भी अच्छे शब्दों का इस्तेमाल कर सकता हूं लेकिन तब दूसरे लोग मुझ पर आरोप लगाने लगेंगे."
जस्टिस अरुण मिश्रा की दलील