'विवाद से विश्वास तक'

इनकम टैक्स विभाग की नई योजना विवाद से विश्वास तक' को नोटबंदी के बाद जांच-पड़ताल की जद में आए आए लोगों के लिए एक मौके के तौर पर देखा जा रहा है. अंग्रेजी अख़बार इकॉनॉमिक टाइम्स ने विभाग के सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि नोटबंदी के समय खनन, कॉमोडिटी, कपड़ा और रीयल एस्टेट सेक्टर की कई कंपनियों ने बेहिसाब पैसा बैंकों में जमा कराया था और उनके बही-खातों में दर्ज ब्योरों पर सवाल उठे थे. अख़बार के मुताबिक़ ज़्यादातर मामलों में इनकम टैक्स विभाग ने कंपनियों से इनकम टैक्स एक्ट की धारा 68 के तहत ऐसी कंपनियों से नोटिस जारी कर ऐसे पैसे का स्रोत पूछा था जो या तो उनकी बही-खातों में नोटबंदी की अवधि के दौरान दर्ज हए थे या फिर जिन्हें बैंक में जमा किया गया था. जानकारों का कहना है कि इस योजना का फ़ायदा इनकम टैक्स छापों और तलाशी का निशाना बने लोगों की तुलना में नोटबंदी के दौरान नोटिस पाने वाले करदाता ज़्यादा उठा पाएंगे. नोटबंदी के समय सरकार ने 500 और 1000 रुपए के नोटों पर पाबंदी लगा दी थी जिसके बाद कई कंपनियों और आम लोगों ने अपने पास पड़ी नक़दी बैंकों में जमा की थी.


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