राहुल गांधी की चेतावनी
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आइए राहुल गांधी का खूब मज़ाक बनाएं , पप्पू - पप्पू कहकर उनका उपहास उड़ाएं l
लेकिन इसी पप्पू ने 3 माह पहले ही सरकार को कॅरोना वायरस की भयानक त्रासदी की जानकारी दे दी थी इतना ही नहीं उसके बाद हर 4-5 दिन में सरकार को इसकी रोक थाम हेतु चेताया किन्तु सरकार ने एक नहीं सुनी और आज पूरा देश इस त्रासदी की चपेट में आ गया और समूचा भारत आज भयग्रस्त है। अगर समय रहते सरकार चेत जाती तो इतनी अफरा तफरी नहीं होती l
आओ प्यारे भक्तों आओ एक बार फिर पप्पू का मज़ाक बनाओ और नए - नए चुटकुले बनाओ और कोरोना को मार भागाओ l उनकी दूरदर्शिता का पुतला जलाओ l
जिसको संदेह हो वह राहुल गांधी के ट्यूटर हैंडल पर जा कर 31 जनवरी से 3 मार्च तक के 10 बार राहुल गांधी का सरकार को आग्रह देखकर सत्यता की पुष्टि कर लें।
★ हम ना कांग्रेसी हैं और ना राहुल गांधी को अपना नेता या हीरो मानते l लेकिन एक राष्ट्रीय पार्टी के नेता और सांसद होने के नाते उनकी बात गंभीरता से सुनते हैं और उस पर विचार करते हैं l पप्पू कहकर उनके हर गंभीर सवाल को मज़ाक बना देना एक सोचा समझा घटिया राजनैतिक षड्यंत्र है जिसमें मुख्यधारा का मीडिया भी शामिल है l
कुछ लोग जिन्हें 'पप्पू' का सम्बोधन देते आए हैं ये उनके ट्वीट है तारीख पर भी ध्यान दीजिएगा .......
-कोरोना वायरस पर राहुल गांधी के कुछ ट्वीट
31 जनवरी : चीन में कोरोनावायरस ने सैकड़ो लोगों की जान ली है। मेरी संवेदनाएं पीड़ितों के परिवार और उन लाखों लोगों के साथ हैं जो वायरस को फैलने से रोकने के लिए क्वारंटाइन कर दिए जाने को मजबूर हैं। उन्हें इस अजीब मुश्किल से निकलने की शक्ति और हिम्मत मिले।
12 फरवरी
कोरोना वायरस हमारे लोगों और हमारी अर्थव्यवस्था को बेहद गंभीर खतरा है। मेरी समझ है कि सरकार इस खतरे को गंभीरता से नहीं ले रही है। समय पर कार्रवाई महत्वपूर्ण है।
3 मार्च
हरेक राष्ट्र के जीवन में ऐसे क्षण आते हैं जब नेताओं की जांच होती है। सच्चा नेतृत्व वायरस द्वारा भारत और इसकी अर्थव्यवस्था पर आने वाले विशाल संकट को टालने पर पूरी तरह केंद्रित रहेगा।
3 मार्च
डीयर @PMOIndia
भारत जब आपात स्थिति का सामना कर रहा है तब अपने सोशल मीडिया अकाउंट से क्लाउन की भूमिका निभाते हुए भारत का समय बर्बाद करना बंद कीजिए। कोरोना वायरस की चुनौती पर हरेक भारतीय का ध्यान खींचने की दिशा में काम कीजिए।
देखिए ऐसे किया जाता है ....
(वीडियो )
5 मार्च
स्वास्थ्य मंत्री का यह कहना कि भारत सरकार ने कोरोना वायरस को नियंत्रण में कर लिया है, टाइटैनिक के कप्तान द्वारा यात्रियों को यह कहने की तरह है कि घबड़ाएं नहीं, जहाज डूब ही नहीं सकता है।
समय आ गया है कि सरकार एक कार्ययोजना घोषित करे जो संकट से निपटने के लिए ठोस संसाधनों से समर्थित हो।
(स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन ने 3 मार्च को प्रेस कांफ्रेंस कर एक चिकित्सक और मंत्री होने के नाते लोगों से अपील की थी कि कोरोना वायरस के संक्रमण के डर से लोग मुंह पर मास्क लगाकर न घूमें, डर न फैलाएं।)
13 मार्च
मैं इसे दोहराता रहूंगा। कोरोना वायरस एक विशाल समस्या है। समस्या को नजरअंदज करना समाधान नहीं है। अगर सख्त कार्रवाई नहीं की गई तो भारतीय अर्थव्यवस्था नष्ट हो जाएगी। सरकार गंभीरता को समझ नहीं रही है। इसके साथ उन्होंने 12 मार्च का अपना ट्वीट भी शेयर किय था।
18 मार्च
कोरोना वायरस से निपटने का एक ही तरीका है, शीघ्र, जोरदार कार्रवाई। निर्णायक ढंग से काम करने में सरकार की नाकामी की वजह से भारत को भारी कीमत चुकानी होगी।
21 मार्च
कोरोना वायरस हमारी नाजुक अर्थव्यवस्था पर जोरदार प्रहार है। छोटे और मध्यम स्तर के कारोबारी तथा दिहाड़ी मजदूर सबसे बुरी तरह प्रभावित होगा। ताली बजाने से उन्हें सहायता नहीं मिलेगी। सिर्फ विशालकाय आर्थिक पैकेज से लाभ होगा जिसमें सीधे नकद ट्रांसफर, टैक्स ब्रेक और कर्ज के पुनर्भुगतान का स्थगन शामिल हो।