उत्तर भारत में मजदूरी कर रहे, छोटे काम धधे कर रहे तमाम बेघर लोग बीते कुछ दिनों से देश की राजधानी दिल्ली को पार कर रहे हैं. इनमें हरियाणा के पानीपत, करनाल, अबाला, राजस्थान के जयपुर, अजमेर, पजाब के लुधियाना. जलधर और चडीगढ़ समेत कई अन्य शहरों से आये वो लोग हैं जो दिल्ली पार करके उत्तर प्रदेश के एटा, आगरा, मथुरा, रामपुर, बरेली, सीतापुर, हरदोई, अमरोहा और राजस्थान के अलवर, भरतपुर में अपने घर लौट रहे हैं. दिल्ली की सड़कों पर दिख रही सैकड़ों की इस भीड़ में वे लोग शामिल हैं जो पास के राज्यों में काम करते थे और लॉकडाउन का आदेश आने के बाद या उससे कुछ पहले अपने-अपने घरों को पलायन करने के लिए मजबूर हैं.
मज़दूर की कोई मज़हबी पहचान नही होती कुछ आगे चलकर लोगों का एक बड़ा जत्था रेलवे स्टेशन से करीब दो किलोमीटर पहले ब्रिज के नीचे खड़ा मिला जिसे देखकर पहले लगा कि कोई खाना बाँट रहा है, जिसके लिए भीड़ उमड़ पड़ी है. लेकिन रेहड़ी-रिक्शे वालों और हाथ में कुछ सामान लिए लोगों की यह भीड़ तेज़ हो चुकी बारिश से बचने की कोशिश कर रही थी. पास ही खड़ी पुलिस-गाड़ी की लाल-नीली रोशनी इनके चेहरों पर चमक रही थी जो लोगों की बेचैनी को एक नाटकीय रूप दे रही थी.
लॉकडाउन के बीच परिवार के सामान को घेरे बैठी-इनकी माँ दोनों के चेहरे पर बधे रुमाल को बार-बार ठीक कर रही हैं. जबकि दोनों मियाँ-बीवी के पास मुँह पर बाधने के लिए कुछ नही है. यहाँ लाल फ्रॉक पहने वो बच्ची भी हैं जिसे कुछ देर पहले मैंने भीड़ में सिर पर कुछ सामान रखकर चलते देखा था. वो अब अपनी माँ से सवाल नही-पूछ रही और माँ उसके पैर दबा रही हैं..
अपने ठिकानों पर पहचने का साहस इनमें वो लोग भी हैं जो असल में बहुत ज़्यादा डरे हुए हैं. उन्हें फ़िलहाल बस अपना घर दिखाई दे रहा है. वो इस घड़ी में उनके साथ होना चाहते हैं जिन्हें कभी भी उनकी ज़रूरत पड़ सकती है. साथ ही कोरोना को एक 'शहरी' बीमारी मानते हुए इन्हें अपना गाँव ज़्यादा सुरक्षित दिखाई दे रहा है. पलायन कर रहे लोगों की संख्या को देखकर डर लगता है. पर रात के अधेरे में लबी दूरी के सफ़र पर निकले इन लोगों का सहारा कोई सरकार या व्यवस्था नही, बल्कि ऊपरवाला है, ऐसा इनका मानना है.
भीड़ दिखाई दे रही है... चित्ताओ-से घिरे इस वर्ग में सही सूचना का कितना अभाव है, इसका पता भीड़ में शामिल लोगों को सुनकर होता है. लगता है, जैसे इस हाल में ये लोग उम्मीद की सभी चालें चल देना चाहते हैं. एक बड़े बस अड्डे और रेलवे स्टेशन से कुछ दूरी पर खड़े इन लोगों को उम्मीद है कि वहाँ से इन्हें कुछ ना कुछ तो ज़रूर मिल जाएगा.
पार्टीशन के समय की तस्वीर इसके बाद उन्होंने कहा कि वे एटा (यूपी) पैदल ही जा रहे हैं. भीड़ में कुछ लोग ऐसे भी थे जो दिल्ली से बिहार तक जाने की बातें कर रहे थे. पर जिन हालात में, जिन रास्तों पर ये लोग निकल पड़े हैं, इन्हें रोकना बहुत मुश्किल लगता है. पर महामारी से लोगों को बचाने का प्रयास कर रही-सरकारों को जल्द से जल्द इन जिदगियों के बारे में कुछ करना होगा ताकि इनके सफ़र को अजाम जा सके.