कोरोना वायरस के खिलाफ़ लड़ाई में भारत की आलोचना अब तक कम लोगों की जान के लिए हो रही है. लेकिन अब उम्मीद की जा रही है कि इस स्थिति में बदलाव होगा. इस बदलाव की उम्मीद एक वायरोलॉजिस्ट की कोशिशों से जगी है. इस महिला वायरोलॉजिस्ट ने अपने बच्चे को जन्म देने से महज़ कुछ घने पहले तक लगातार काम करके भारत का पहला वर्किंग टेस्ट किट तैयार किया है. यह मॉलिक्यूलर डायगनॉस्टिक कलनी, एचआईवी, हेपाटाइटिस बी और सी सहित अन्य बीमारियों के लिए भी टेस्टिम किट तैयार करती है. कतनी का दावा है कि वह एक सप्ताह के अनार एक लों कोविड-19 टेस्ट किट की आपूर्ति कर देगी और ज़रूरत पड़ने पर दो लों टेस्टिम किट तैयार कर सकती है.
गर्भवती वायरोलॉजिस्ट ने बनाई किट मायलैब की प्रत्येक किट से 100 सैंपलों की जान हो सकती है. इस किट की कीमत 1200 रुपये है, जो विदेश से मनाए जाने वाली टेस्टिम किट के 4,500 रुपये की तुलना में बेहद कम है. मायलैब डिस्कवरी की रिसर्च और डेवलपमेंट प्रमों वायरोलॉजिस्ट मीनल दो वे भोसले ने बताया, "हमारी किट कोरोना वायरस सक्रमण की जान ढाई घने में कर लेती है, जबकि विदेश से आने वाले किट से जान में छह-सात घने लगते हैं." मीनल उस टीम की प्रमों हैं जिसने कोरोना वायरस की टेस्टिम किट यानी पाथो डिटेक्ट तैयार किया है, वो भी बेहद कम समय में. ऐसी किट को तैयार करने में अमूममन तीन से चार महीने का वक़्त लगता है लेकिन इस टीम ने छह सप्ताह के रिकॉर्ड समय में इसे तैयार कर दिया. दिलचस्प यह है कि इस दौरान मीनल खुद भी एक डेडलाइन का सामना कर रही थीबीते सप्ताह उन्होंने बेबी गर्ल को जन्म दिया है. गर्भावस्था के दौरान ही बीते फ़रवरी महीने में उन्होंने टेस्टिम किट प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया था. कोरोना वायरस किस तरह एक से दूसरे को फैलता है और सतह पर ये कितनी देर तक ज़िदा रह सकता है?
नेशनल इमटीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी मीनल ने बीबीसी को बताया, "यह आपातकालीन परिस्थिति थी, इसलिए मैंने इसे चैलेंज के तौर पर लिया. मुझे भी अपने देश की सेवा करनी है." मीनल के मुताबिक, 10 वैज्ञानिकों की उनकी टीम ने इस प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए काफ़ी मेहनत की. अपनी बेटी को जन्म देने से महज़ एक दिन पहले, 18 मार्च को उन्होंने टेस्टिम किट की परों के लिए इसे नेशनल इमटीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) को सौंपा.
मेडिकल रिसर्च इस किट को परों ने के लिए भेजे जाने से पहले टीम ने इस अलग-अलग मापदों पर कई बार जाना परों । ताकि इसके नतीजे सटीक निकलें. मीनल भोसले बताती हैं, "अगर आपको किसी सैंपल के 10 टेस्ट करने हों तो सभी दसों टेस्ट के नतीजे एक समान होने चाहिए. हमने यह परफ़ेक्शन हासिल कर लिया. हमारी किट परफैक्ट है." भारत सरकार के इडियन काउसिल फ़ॉर मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने मायलैब किट को सही ठहराया है.
अब तक कम हए हैं टेस्ट भारत में कोरोना वायरस सलमण का पता लगाने वाले टेस्ट बेहद कम हुए हैं. यहाजप्रति दस लों लोगों में महज़ 6.8 लोगों के टेस्ट किए गए हैं, जो दुनिया भर के देशों में सबसे निम्नतम दर है. शुरुआत में, भारत में केवल उन लोगों के टेस्ट किए गए जो हाई रिस्क वाले देशों की यात्रा से लौटे थे या फिर किसी सङ्गमित मरीज़ या मरीज़ का इलाज कर रहे स्वास्थ्यकर्मी के सफ़र्क में आए थे.
डायगनॉस्टिक किट पिछले कुछ दिनों में भारत ने कोरोना वायरस सलमण का पता लगाने के लिए जान की सखया बढ़ाई है. शुरुआत में, केवल सरकारी लैब को इस टेस्ट की अनुमति मिली थी, लेकिन अब इसका दायरा बढ़ाकर कुछ प्राइवेट लैब को भी इसमें शामिल किया गया है. गुरुवार को, भारत ने 15 निजी कलनियों को लाइसेंस के आधार पर व्यवसायिक तौर पर अमरीका, यूरोपीय देशों और कुछ अन्य देशों से मलाए गए डायगनॉस्टिक किट बेचने की अनुमति दी है.
क्या है भारत की चुनौती कोरोना वायरस के सनमण के लिए टेस्टों की बढ़ती सखया से निश्चित तौर पर मदद मिलेगी. लेकिन भारत में नाममात्र की स्वास्थ्य सुविधाओज़फ़ो दो ते हुए विश्लेषक तत्काल जाज़ की सखया बढ़ाए जाने की मास कर रहे हैं. भारत की पूर्व स्वास्थ्य सचिव सुजाता राव बताती हैं, "छोटे से देश दक्षिण कोरिया में भी कोरोना वायरस टेस्ट करने वाले 650 लैब हैं. हमारे यहाज़कितने हैं?" कोरोना वायरस सलमण की जाज़ बढ़ने की स्थिति में अगर कोरोना वायरस से पॉज़िटिव लोगों की सखया तेज़ी से बढ़ी तो उन्हें अस्पताल में दाखिल कराना चुनौती होगी. सुजाता राव बताती हैं, "देश की स्वास्थ्य सुविधाओके स्तर के बारे में आपको पता है? जो सुविधाएझैं भी वो शहरी इलाक़ों में हैं. ग्रामीण इलाकों में तो मामूली सुविधाओज़फ़ा भी अभाव है. यह बहुत बड़ी चुनौती साबित होगा."