कोरोना वायरस: लोग यहां पेट भरने के लिए नहीं रहते बल्कि दो पैसे कमाने और बचाने के लिए रहते हैं. लॉकडाउन में कमाई बंद होने से मज़दूर घर जाना चाहते हैं आखिर इसके लिये कौन ज़िम्मेदार?


पिछले कई दिनों से यूपी-बिहार की ओर जाने वाली सड़कों पर पैदल यात्रियों की भीड़ की ख़बर अचानक उस वक़्त दब गई जब हज़ारों प्रवासियों की भीड़ दिल्ली-यूपी सीमा के विभिन्न बस अड्डों पर पहुंचकर अपने घरों की ओर जाने वाली बसों की तलाश करने लगी. देश भर में लागू 21 दिवसीय लॉकडाउन की न सिर्फ धज्जियां उड़ गईं बल्कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए सबसे ज़रूरी उपाय सोशल डिस्टैंसिंग यानी एक-दूसरे से दूरी बनाकर रहने की सलाह भी मज़ाक बनकर रह गई.


आरोप प्रत्यारोप उत्तर प्रदेश के परिवहन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अशोक कटारिया का कहना है कि दिल्ली और अन्य राज्यों की सीमाओं पर जो भी लोग फँसे हैं, यूपी रोडवेज की बसें उन्हें उनके जिलों तक पहुंचाएंगी लेकिन उन्होंने यह अपील भी की है लोग अब अपने घरों से न निकलें. ये भी पढ़ें: बिहार आने वाले हर शख़्स को 14 दिन क्वरंटीन में रखेगी राज्य सरकार दिल्ली की सीमा पर मची अफरा-तफ़री और भारी भीड़ के लिए उन्होंने दिल्ली सरकार को दोषी ठहराया है. बीबीसी से बातचीत में अशोक कटारिया कहते हैं, "किसी राज्य में काम करने वाले लोग उस राज्य की संपत्ति लोगों से प्रार्थना कर रहे हैं कि वो जहां हैं, वहीं रुके रहें. क्योंकि इधर-उधर जाने से संक्रमण बढ़ेगा जो सबके लिए नुकसानदेह है."


क़ानून-व्यवस्था के लिए ख़तरा परिवहन मंत्री अशोक कटारिया ने बताया कि दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान की सीमाओं पर करीब 1200 बसें तब भेजनी पड़ी जब दिल्ली की सीमा पर स्थिति बिल्कुल ख़राब होने लगी और यह क़ानून-व्यवस्था के लिए ख़तरा बनने लगा. उन्होंने बताया कि पिछले दो दिनों में करीब एक लाY लोग अपने घरों के नज़दीक तक पहुंचाए गए हैं. उनका कहना था कि बसों से लोगों को उनके जिला मुख्यालयों तक पहुंचाया गया है. अशोक कटारिया ने ये भी स्पष्ट स्पष्ट किया कि बसों से यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने की व्यवस्था मुफ़्त नहीं है बल्कि इसका किराया किराया लिया जा रहा है.


भीड़ के दबाव के आगे दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर यात्रियों की भीड़ अब भी लगी हुई है और तमाम अपील के बावजूद लोगों का यहां आना जारी है. शुरू में लोग पैदल ही घरों से निकले थे, लेकिन बसें चलाए जाने की घोषणा के बाद भीड़ अचानक बढ़नी शुरू हो गई. हालांकि, शनिवार को ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लोगों से अपील की कि वो चाहे जिस राज्य के हों, दिल्ली छोड़कर न जाएं.


कौशांबी बस अड्डे पर... परिवहन विभाग के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कौशांबी बस अड्डे पर 200 बसें उपलब्ध थीं जबकि अन्य जिलों से भी लगातार बसें वहां पहुंच रही थीं और यात्रियों को उनके गंतव्य तक भेजा जा रहा था. अधिकारी के मुताबिक, अफ़रा-तफ़री इसलिए भी बढ़ती जा रही थी क्योंकि यात्री बिना कुछ जाने-समझे बसों की ओर भागे जा रहे थे. हालांकि उनके मुताबिक, बाद में स्थिति को काफी हद तक सँभाल लिया गया. यूपी सरकार ने अन्य राज्यों से आ रहे या फिर अन्य राज्यों की ओर जा रहे लोगों की सुविधा के लिए 11 वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में एक समन्वय टीम भी बनाई है. इस टीम के सदस्यों को अलग-अलग राज्यों की ज़िम्मेदारी दी गई है. गोपाल राय कहते हैं कि लोग यहां पेट भरने के लिए नहीं रहते बल्कि दो पैसे कमाने और बचाने के लिए रहते हैं. लॉकडाउन में कमाई बंद होने से मज़दूर घर जाना चाहते हैं लेकिन उन्हें संक्रमण का ख़तरा समझना होगा.


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