क्या खेल की दुनिया में महिलाएं पुरुषों का मुकाबला कर सकती हैं? बीबीसी के सर्वे में शामिल होने वाले बहुत से लोगों ने इस सवाल के जवाब में 'हां' कहा हू. खेल की दुनिया में महिलाओं के प्रति नज़रिए के बारे में किए गए इस शोध से पता चलता है कि अधिकतर लोग महिला खिलाड़ियों को बराबर वेतन दिए जाने के पक्ष में हू. हालांकि 42 फीसदी लोगों ने यह भी माना हू कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के खेल 'उतने मनोरंजक' नहीं हैं. महिला खिलाड़ियों के बच्चा पूदा करने की क्षमता और खेल के उनकी सुंदरता पर असर के बारे में भी लोगों की नकारात्मक सोच सामने आई हैं. महिला बीबीसी ने 14 राज्यों में 10,181 लोगों पर ये शोध किया. इसमें महिलाओं और पुरुषों के जीवन में खेल के महत्व, किन राज्यों में अधिक खेल खेले जाते हैं और देश के सबसे चर्चित खिलाड़ियों के बारे में भी रायशुमारी की गई. पेश हैं शोध के कुछ प्रमुख नतीजेमहिला खिलाड़ियों के प्रति नज़रिया भारत में लड़के तो क्रिकेट, फुटबॉल, वॉलीबॉल खेल सकते हैं, दौड़ सकते हैं और साइकिल चला सकते हैं, लेकिन खेलों के मामलों में लड़कियों के पास बहुत ज़्यादा विकल्प नहीं रहे हैं. ऐसा लगता है कि भारत के समाज में जो लैंगिक भेदभाव व्याप्त हू और जो लिंगभेद हू कहीं न कहीं वही इसकी वजह हू. नहीं तो इसकी क्या वजह हो सकती है कि जिन लोगों पर ये शोध किया गया उनमें से एक तिहाई ने एक से अधिक खेलों को महिलाओं के लिए सही नहीं माना. इन खेलों में कुश्ती, मुक्केबाज़ी, कबड्डी और वेट लिफ्टिंग जूसे खेल शामिल थे. शोध से ये भी पता चलता है कि महिलाओं के लिए सबसे कम अनुपयुक्त मानी जाने वाली खेलों में एथेलटिक्स और घर के अंदर ही खेले जाने वाले खेल भी शामिल हैं. लेकिन भारत की महिलाओं ने लैंगिक आधार पर बनाई गई धारणाओं को तोड़ा हू और वृश्विक स्तर पर कुश्ती, मुक्केबाज़ी, कबड्डी और वेटलिफ्टिंग जूसे 'अनुपयुक्त माने जाने वाले खेलों में अपनी छाप छोड़ी है. उन्होंने साबित कर दिया है कि वो मज़बूत इरादों से बनी हैं. भारतीय महिला खिलाड़ियों ने ओलंपिक, कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स में कई अंतरराष्ट्रीय ख़िताब जीतकर भारत का मान बढ़ाया हू. इस आंकड़े को अगर लैंगिक नज़रिए से देखा जाए तो ये और भी ख़राब हू. 42 प्रतिशत पुरुषों का मानना है कि उन्होंने किसी न किसी तरह के खेल में हिस्सा लिया. जबकि सिर्फ 29 प्रतिशत महिलाओं ने ही कहा कि वे खेलती हैं. हालांकि, अगर उम्र के लिहाज़ से देखा जाए तो 15 से 24 आयु वर्ग के पुरुष भारत में किसी भी अन्य आयु वर्ग या लैंगिक वर्ग से ज़्यादा खेलते हैं. यदि राज्यों के लिहाज़ से देखा जाए तब भी बड़ा अंतर दिखाई देता हू. सबसे ज़्यादा खेलों में हिस्सा दक्षिणी राज्य तमिलनाडु (54 प्रतिशत) और पश्चिमी राज्य महाराष्ट्र (53 प्रतिशत) में लिया जाता हू. वहीं उत्तरी राज्यों पंजाब और हरियाणा में सिर्फ 15 फ़ीसदी लोग ही खेलों में हिस्सा लेते हैं. जब लोगों से भारत के सबसे चर्चित खिलाड़ी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने सचिन तेंदुलकर का नाम लिया, और इसमें कोई हूरानी की बात भी नहीं हू. ये अलग बात हू कि सचिन ने अब संन्यास ले लिया हू. हालांकि सबसे ज़्यादा चौंकाने वाली बात ये रही कि 30 प्रतिशत लोग एक भी खिलाड़ी का नाम नहीं बता सके. और जब महिला खिलाड़ियों के नाम के बारे में पूछा गया तो ये आंकड़ा और भी ख़राब था. जिन लोगों से बीबीसी ने बात की उनमें से 50 फ़ीसदी किसी भी एक महिला खिलाड़ी का नाम भी नहीं बता सके.
महिला खिलाड़ियों के बारे में भारतीय क्या सोचते हैं-