डॉक्टरों एवं उनके टीम पर इंदौर में पथराव का मामला मध्य प्रदेश की व्यवसायिक राजधानी माने जाने वाले इंदौर की चर्चा पूरे भारत में हो रही है.


यहां कोरोना के मरीज़ तो बड़ी संख्या में मिल ही रहे हैं लेकिन शहर के टाटपट्टी बाखल इलाके में कोरोना वायरस संक्रमित लोगों की जांच के लिए पहुंचे डॉक्टरों की टीम पर पथराव किया गया. डॉक्टरों की टीम में शामिल ज़ाकिया सैयद ने बताया, "हम तीन-चार दिन से इस इलाके में जा रहे थे लेकिन हमने ऐसा महसूस नहीं किया था कि हमारे साथ कुछ ऐसा होगा. उस दिन जो मामला सामने आया वो अचानक था. हमें नहीं पता कि क्या हुआ लेकिन वहां मौजूद भीड़ अचानक हमलावर हो गई." डॉक्टर ज़ाकिया का कहना है कि दूसरे दिन लोग अपने मुहल्ले कि किए पर शर्मिंदा ज़रूर थे.यहां पहुंचने पर डॉक्टरों की टीम को वह शख़्स तो नहीं मिला लेकिन उसकी मां मिलीं. डॉक्टर और अन्य स्वास्थ्यकर्मी उसकी मां से बात ही कर रहे थे कि वहां मौजूद लोगों ने टीम पर पथराव शुरू कर दिया. डॉक्टरों का कहना है कि उनके पैरों में पत्थर से चोटें आई हैं. हालांकि वो चोटें इतनी नहीं हैं कि साफ़-साफ़ नज़र आएं. डाक्टर तृप्ति कटारिया कहती हैं, "हम वहां उन्हें ही कोरोना जैसी बीमारी से बचाने के लिये गए थे लेकिन शायद लोग हमें सुनने के लिये लिये ही तैयार नहीं थे और उन्होंने हमें ही निशाना बना दिया." मध्य प्रदेश का इंदौर इस वक़्त कोरोना का हॉटस्पॉट बना हुआ है और यहां पर अब तक कोरोना के 89 मरीज़ मिल चुके हैं. यही वजह है कि राज्य की सारी मशीनरी इस शहर में कोरोना को काबू करने के लिये लगाई जा रही है. इंदौर में लगातार वायरल हो रहे मैसेज क्या इसकी वजह बने इस पर डॉक्टर ज़किया सैयद ने कहा कि उन्हें इसके बारे में कुछ भी जानकारी नही है. वही उन्होंने यह बात ज़रूर दोहराई की वो इस घटना से बिल्कुल भी डरी नहीं है और न ही उनके हौसले कम हुए हैं. डॉक्टर ज़किया ने कहा, "हम लोगों को यही बताना चाहते है कि आप किसी भी धर्म या इलाके से ताल्लुक रखते हों लेकिन इस मुश्किल वक़्त में यह आपकी ज़िम्मेदारी है कि आप उन डॉक्टरों की मदद करें जो आपके लिए खड़े हो रहे हैं. अगर आप सहयोग नहीं करते है तो डॉक्टरों का इसमें कुछ ज़्यादा नुकसान नहीं होगा बल्कि आप का ही नुकसान होगा."



इंदौर में यह बात भी फैली हुई है कि कुछ ऐसे संदेश शहर में सोशल मीडिया पर वायरल हुए जिसकी वजह से लोगों में यह अफ़वाह फैली कि कुछ इलाकों में कोरोना वाले इंजेक्शन लगाए जा रहे हैं. लेकिन इसके सबूत नहीं मिले हैं. उन्होंने कहा, "भोपाल जैसे शहर में आईएएस को कोरोना हो सकता है जिसका किसी से कोई संपर्क नहीं था. तो फिर दूसरे इलाकों में रह रहे इन लोगों के बारे में आप सोच सकते हैं." आनंद राय ने बताया, "अगर टेस्ट किये जाते हैं तो दूसरे इलाक़ों में भी इस तरह के मामले मिलेंगे. अभी तक दिक्क़त यही है कि टेस्ट ही कम किए जा रहे हैं." उन्होंने यह भी कहा कि इंदौर जैसे शहर में प्रशासन को चाहिए कि वह इस मेडिकल इमरजेंसी के वक़्त मेडिकल क्षेत्र के लोगों को आगे करें तभी हालात को संभाला जा सकेगा.


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