कोरोना वायरस के लिए रैपिड टेस्टिंग किट, आख़िर दिक़्क़त कहां है? किट में खामी या इस्तेमाल के तरीक़े में ग़लती?


कोरोना वायरस से निपटने की कोशिशों में रैपिड टेस्ट को गेम चेंजर के तौर पर देखा गया था, लेकिन अब रैपिड टेस्ट किट के नतीजों पर सवाल उठ रहे हैं. हालांकि आईसीएमआर का कहना है उसे 48 घंटे का वक्त चाहिए, जिसमें वो खुद इन सभी किट की जांच करेंगे और और इसके बाद ही कोई दिशा-निर्देश जारी किया जाएगा.


किट में खामी या इस्तेमाल के तरीक़े में ग़लती? इससे पहले पश्चिम बंगाल ने आरटी-पीसीआर टेस्ट किट को लेकर शिकायत की थी कि वो ठीक से काम नहीं कर रही हैं और राज्य को टेस्ट दोबारा करने पड़ रहे हैं. लेकिन सोमवार को आईसीएमआर के डॉ गंगाखेडकर ने इस शिकायत को संज्ञान में लेते हुए कहा था कि ये आरटी-पीसीआई टेस्ट किट यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन से अप्रूवड हैं और इनकी क्वालिटी स्टैंडर्ड काफी अच्छी है. वो कहते हैं, "इसमें सिर्फ एक दिक्कत है कि इस किट को हमें 20 डिग्री से कम के तापमान पर रखना है. अगर तापमान 20 डिग्री के ऊपर गया तो टेस्ट के नतीजे गड़बड़ आ सकते हैं."


चीन से मंगाई 10 लाख किट टेस्टिंग को तेज करने के लिए भारत ने चीन से करीब 10 लाख किट मंगाई थी. कई दूसरे देशों ने भी चीन से मिली किट में खामियों की शिकायत की है, हालांकि चीन ने क्वालिटी की समस्या से इनकार किया है. बीबीसी हिंदी से बातचीत में लाल पैथ लैब के मैनेजिंग डायरेक्टर अरविंद लाल भी कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि चीन में बनी हर चीज़ खराब ही होती है, "हो सकता है कि उन्होंने टेस्ट ठीक तरीके से ना किए हों. इसलिए जबतक आईसीएमआर की टीमें खुद फील्ड में जाकर टेस्ट करके नतीजे देख ना लें, तब तक कुछ भी कहना ठीक नहीं है."


अरविंद लाल के मुताबिक़, ये एंटीबॉडी टेस्ट डाइग्नोस्टिक टेस्ट नहीं है. बल्कि इनका इस्तेमाल सिर्फ सर्विलांस स्टडी और सोसाइटी के इम्यून स्टेटस को पता लगाने के लिए किया जाता है. ये टेस्ट डाइग्नोस्टिक इसलिए नहीं हैं, क्योंकि पहले सात दिन में ये टेस्ट कभी भी पॉज़िटिव नहीं आएंगे. जब आईजीजी एंटी बॉडी आपको मिल जाती है तो इससे पता चल जाता है कि ये व्यक्ति एकदम ठीक है और इनका प्लाज़्मा अब आप और मरीजों को भी ठीक होने के लिए दे सकते हैं. रैपिड टेस्ट पर सरकारों का ज़ोर सरकार ने मंगलवार को कहा कि भारत के टेस्टिंग के अनुभव को देखा जाए तो 69% पॉजिटिव मामले एसिम्टोमेटिक हैं और 31% सिम्टोमेटक या जिनमें हल्के लक्षण हैं. इन तथ्यों ने भारत की चिंता भी बढ़ाई है. क्योंकि अगर ज़्यादातर मामलों में लक्षणों का पता ही नहीं चल रहा तो वायरस को रोकना चुनौती बन सकता है. अब तक कोरोना वायरस की कोई वैक्सीन नहीं है, इसलिए टेस्ट के ज़रिए इन मरीजों की पहचान करना ही एक अहम हथियार है. ऐसे में रैपिड टेस्ट एक उम्मीद की तरह आए थे. जिसे करने की प्रक्रिया आसान है और नतीजे भी कुछ मिनटों में आने का दावा किया जा रहा है.



कुछ राज्यों ने खुद अपने लिए रैपिड टेस्ट किट मंगाए कुछ राज्यों ने खुद ही अपने लिए रैपिड टेस्ट किट खरीदने शुरू कर दिए. उन्होंने अलग-अलग कंपनियों से और अलग-अलग जगहों से किट खरीदे. छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंह ने ट्वीट कर बताया कि उन्होंने भारत में स्थित साउथ कोरिया की कंपनी से 75 हज़ार रैपिड टेस्ट खरीदे हैं. उन्हें ये टेस्ट किट 337 रु कीमत पर खरीदे. इससे पहले खबर आई थी कि असम ने सीधे चीन से पचास हज़ार पीपीई किट मंगा ली थी. इसे देखते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंगलवार को ट्वीट किया कि कोविड-19 से लड़ने के लिए टेस्टिंग किट, वेंटिलेटर, मेडिकल उपकरण केंद्र सरकार द्वारा केंद्रीयकृत खरीद कर राज्यों को उपलब्ध कराने चाहिए ताकि राज्यों को इनकी खरीद में आसानी हो, राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा न हो और आईसीएमआर की गाइडलाइन पर खरे उतरने वाले टेस्ट किट, उपकरण ही मिल सकें. दूसरे देशों को क्या समस्या आई? न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक अमरीका में टेस्ट के गलत नतीजे आ रहे हैं, जिन लोगों में एंटी बॉडी नहीं है, टेस्ट से उनमें भी एंटी बॉडी मिल रही है. वहीं ब्रिटेन में वैज्ञानिकों का कहना है कि टेस्ट में सेंसिटिविटी रेट कम है और स्वास्थ्य सचिव ने पत्रकारों से कहा कि ये इतने काम के नहीं हैं. वहीं स्पेन, तुर्की और नीदरलैंड्स ने चीन में बने हज़ारों टेस्टिंग किट और मेडिकल मास्क को डिफेक्टिव बताकर रिजेक्ट कर दिया था. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक मार्च के अंत में स्पेन की सरकार ने बताया कि उन्होंने एक चीन की कंपनी से हज़ारों टेस्ट किट खरीदी थीं. लेकिन इस्तेमाल के कुछ दिनों बाद ही पता चला कि करीब 60 हज़ार किट मरीज़ों में वायरस को ठीक तरीके से डिटेक्ट नहीं कर पाईं. तुर्की ने भी कहा कि चीनी कंपनियों से खरीदी गई कुछ टेस्टिंग किट सटीक नतीजे नहीं दे रहीं, हालांकि तुर्की ने ये भी कहा कि करीब साढ़े तीन लाख टेस्ट किट ने सही काम भी किया.


 


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