बैतूल छोड़कर मुलताई में छापा, क्या कालाबाजारी बैतूल में नहीं

बैतूल छोड़कर मुलताई में छापा, क्या कालाबाजारी बैतूल में नहीं बैतूल। जिले का खाद्य एवं औषधि विभाग का अमला गजब ही काम कर रहा है। सीधे मुलताई जाकर पान मसाले के थोक विक्रेताओं पर छापा मार दिया, अब समझ यह नहीं आया कि जिला मुख्यालय पर बिल्कुल परफेक्ट रेट में पान मसाले बेचे जा रहे है। जिस तरह की इस विभाग की वर्किंग है वह अपने आप में संदेह पैदा करती है। यदि इन्हें छापामार कार्रवाई करनी थी तो जिला मुख्यालय के थोक डीलर और थोक व्यापारियों के ठीकाने पर छापे मारना था। यहां पर प्रिंट रेट से ज्यादा में सिगरेट, बीड़ी, पाऊच थोक विक्रेता चिल्लर बेचने वालों को दे रहे है और इसलिए लॉक डाउन में पान गुटखे, पाऊच, सिगरेट, बीड़ी और सुपारी खुली कालाबाजारी चल रही है। शहर में जो भी थोक का धंधा कर रहे है उन पर सीधे हाथ डालने की हिम्मत इनकी नहीं पड़ रही है, इसको लेकर दो अलग-अलग कारण लोग बता रहे है। पहला यह कि पहले ही एडजस्टमेंट हो चुका है या फिर ऊपर से कोई दबाव है। जो भी हो, लेकिन पान, गुटखे के गुमठी चलाने वाले इस कालाबाजारी के कारण हैरान, परेशान है, कई लोगों ने तो इसलिए पाऊच, सिगरेट, बीड़ी जैसी चीजें रखना ही बंद कर दी है। बीड़ी को लेकर तो सोशल मीडिया पर काफी हल्ला भी बचा है। इसके बाद भी कहीं कुछ नहीं किया। कुल मिलाकर बैतूल छोड़कर मुलताई जाना ही सवालों के घेरे में है। शहर में जो सुपारी के थोक विक्रेता है वे 700 और 800 रूपए किलो में सुपारी बेच रहे है, जबकि सुपारी के थोक मंडी के रेट यह नहीं है पर लॉक डाउन है इसलिए सब लपेटने में लगे है।


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