एक अरसा हुआ कि जिसमें शब्द काग़ज़ पर स्थान लेते रहे पर ज्ञात भी न होने दिया कि वो कुछ आकार भी ले चुके हैं। एक दिन किसी ने चुपके से आकर जगाया कि तुम्हारी रचना ज़ी हिंदुस्तान पर चल रही है, फिर तो जैसे तन मन में हड़कंप ही मच गया। सोशल मीडिया का कोई कोना ऐसा न था जहां कि रचना वायरल न हुई हो। बहुत सी जगह तो शब्द दर शब्द हूबहू बस नाम गायब, किसी ने स्वतः नामकरण कर रचना को महाकवि बच्चन जी से जोड़ दिया, किसी ने बच्चन जी की महान रचना 'अग्निपथ' की तर्ज पर राजस्थान पुलिस का प्रयास बताया, कुछ खामोश और कुछ इतने आगे कि तोड़मरोड़ कर या सीधे सीधे अपने नाम से प्रस्तुत करने में नहीं चूके। पिथौरागढ़ पुलिस, दिल्ली पुलिस सहित कुछ विश्वविद्यालय, गायक इस रचना को अपने अपने अंदाज में अभिव्यक्ति दी। हालात ऐसे बन पड़े थे कि मैं स्वयं हतप्रभ रह गया, मस्तिष्क अवरुद्ध सा होने लगा.... जैसे तैसे रणनीति तैयार की और फिर अपनी शक्ति को एकजुट कर उद्धत हुआ... तमाम न्यूज़ चैनल, समाचार पत्रों, यू ट्यूब के कलाकारों, वेबजीनों, साहित्यिक एप, जहां जहां संभव हुआ सन्देश और संवाद के जरिए संपर्क सुनिश्चित किया... कई जगह सफलता मिली... कई अज्ञात हैं लेकिन इतना तो कर पाया कि बिखरे हुए मनकों में से कुछ सिमट गए। इस बीच राजस्थान पत्रिका का सहयोग मिला और रचना देश भर में संपादकीय पेज पर सभी अंकों में स्थान पा सकी... आभारी हूं। मैं आभारी हूं उन सभी का जिन्होंने मेरी बात सुनी, समझी और क्रियान्वित की, साथ ही आभारी हूं हर उस शुभ चिंतक का जो कि समय समय पर मुझे संबल और समर्थन देते रहे हैं... फेस बुक पर प्रकाशित रचना, यू ट्यूब प्रस्तुति और राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित रचना जो कि पूर्ण रचना है, सभी आप सबके आशीर्वाद के लिए प्रस्तुत कर रहा हूं....
सदैव स्नेहकांक्षी
शरद
दिनांक 26 मार्च को फेसबुक पर की गई पोस्ट का लिंक
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=3546676528736346&id=100001821016037?sfnsn=wiwspmo&extid=jJ9iNNaDe1mBJDsH
यू ट्यूब लिंक दिनांक 5 अप्रैल
https://youtu.be/SfMlsRUwQYU
लिंक राजस्थान पत्रिका दिनांक 8 मई
http://epaper.patrika.com/c/51706091