झारखण्ड में बढ़ता कोरोना का कम्युनिटी ट्रांसमिशन का खतरा*

*(राकेश शौण्डिक-राँची/झारखंड) झारखण्ड में बढ़ता कोरोना का कम्युनिटी ट्रांसमिशन का खतरा*। रांची को कोरोना की स्थिति को देखते हुए इसको ऑरेंज जोन में डाला गया है। ये एक सुखद समाचार हैं और साथ में तूफ़ान के पहले की शांति का भी अंदेशा है। अभी ही ज्यादा खतरे का समय है। विभिन्न समाचारों के अनुसार राज्य में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। 23 जिलों में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। रांची के सिल्ली में एक साथ 10 मरीजों में काेरोना संक्रमण पाया गया। अब संक्रमित जिलों की सूची में खूंटी भी शामिल हो गया है। सरकार और प्रशासन को जितना करना है कर रहे हैं लेकिन अब समय आ गया है की हम पहले से ज्यादा सचेत हो जाएं। हर काम सरकार नहीं कर सकती। अब हमे अपने बारे में और अपने बच्चों के बारे में गंभीरता से सोचना होगा। हमलोग एक तरह के टाइम बम के ऊपर बैठ गए हैं। समय बिलकुल भी अच्छा नहीं है जरा सी चूक हुई और सब बिगड़ जायेगा। क्योंकि इस बीमारी के बारे में पुरे विश्व को सही सही जानकारी बिलकुल भी नहीं है और न ही इसके दवाई के बारे में। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी अभी कोई पुख्ता जानकारी नहीं दे पा रहा है। किसी देश में इसी बीमारी से हज़ारों लोग मर रहे हैं तो कहीं कम। अमेरिका जैसे देश को भी कोरोनावायरस ने पस्त कर दिया है। हज़ारों लोग मर रहे हैं। ऐसा लग रहा हैं जैसे पृथ्वी गुस्से में है और और हमे सजा देने का मन बना चुकी है। अभी झारखण्ड में हमारे प्रवासी भाई हज़ारों की संख्या में झारखण्ड वापस आ रहे हैं उनमे से कितने लोग इस बीमारी का वाहक बने हुए हैं किसी को नहीं पता। चाह कर भी जाँच की संख्या नहीं बढ़ पा रही है। अगर ये बीमारी गांवों में फैलनी शुरू हो गई जिसकी संभावना ज्यादा है तो हमे लम्बे समय तक अपने घरों में बंद हो जाना पड़ेगा। अभी भी सुदूर गांवों में कितने कोरोना के वाहक पहुँच चुके होंगे नहीं पता और वहां शहरों की तरह कोई स्वास्थ व्यवस्था भी नहीं है। ऑरेंज ज़ोन में आने से लोग अब घरों से निकलना शुरू कर चुके हैं और भीड़ भाड़ वाले जगहों पे जा रहे हैं इससे वायरस का कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो जाने की संभावना है या फिर शुरू हो चूका है। कम्युनिटी ट्रांसमिशन तब होता है जब वायरस सोसायटी में घुसकर बहुत बड़ी संख्या में लोगों को बीमार करने लगे इस से कमजोर इम्युनिटी वाले मरीजों की मौत होने लगेगी जैसे अमेरिका , इटली, स्पेन इत्यादि में हो रहा है। इस वायरस को खत्म होने के वैज्ञानिको ने दो संभावित कारण बताये है जैसे प्रकृति ही इसे ख़त्म करेगी मौसम में बदलाव लाके या फिर हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता। लेकिन ये कब तक होगा नहीं पता। अगर हमारे लोग और भी सख्ती से लॉक डाउन का पालन करते तो स्थिति कुछ नियंत्रण में रहती। दूसरी एक और चिंता हो सकती है। अभी हम लोग कई बार हाथ धो रहे हैं। घर का शुद्ध पका हुआ खाना खा रहे हैं और प्रदुषण मुक्त वातावरण में रह रहे हैं। कुछ समय के बाद जब सब कुछ सामान्य होगा और प्रदुषण भी बढ़ेगा तब हमारे स्वस्थ बिगड़ सकते हैं। स्वच्छ माहौल में रहते रहते हमारा शरीर इसका आदि हो चूका है और जरा सी चूक हमे बीमार कर सकती है। मेरा लोगों से यही आग्रह है की इस बीमारी को हलके में न लें नहीं तो कोरोना का पीक आने से कोई नहीं रोक सकता।


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