*जो सोचता है वह खोजता है।*
चारों तरफ हाहाकार। इधर -उधर मौतों का तांडव। भय, अविश्वास और अनिश्चितता। डरे -सहमे लोग । घरों में दुबके लोग या सड़क पर भूख और भय से जूझते लोग। यह कोई विश्वयुद्ध का वर्णन नहीं और न ही
किसी फिल्म की पृष्ठभूमि का चित्रण । मैं कोरोना कालखण्ड में जीते विश्व मानव की पीड़ा की बात कर रहा हूं। कोरोना वायरस जो आजतक 212 देशों के लाखों लोगों की जिंदगी लील गया है।
पूरी दुनियां के मेडिकल संस्थान इसकी वैक्सीन खोजने में लगे हैं । सारे देश चीन से आरडी पीसीआर टेस्टिंग किट्स खरीद रहे हैं क्योंकि उसी के वुहान प्रान्त से लापरवाही से यह वायरस सारे विश्व में फैला। वह भी सारे विश्व को नकली किट बेच रहा है ऐसी सूचनाएं मिल रही हैं। भारत ने भी 6.3मीलियन किट सप्लाई का आर्डर चीन को दिया। भारत के कई राज्यों ने इनकी गुणवत्ता पर प्रश्न उठाये और वे टेस्टिंग किट चीन को वापस किये जा रहे हैं।
भारत में श्रेष्ठ चिकित्सक हैं और श्रेष्ठ अनुसंधान संस्थान भी । कोरोना कालखंड तत्काल ही समाप्त हो जाएगा ऐसा दिखता नहीं है। भारत के प्रधानमंत्री ने भी वैज्ञानिकों से आह्वान किया है कि वे जल्दी कोरोला वायरस के विरुद्ध लड़ने के लिए वैक्सीन तैयार करें । भारत ऋषि चरक और सुश्रुत का देश है जहां चिकित्सा विज्ञान ईस्वी सदी पूर्व से पुष्पित पल्लवित रहा है । अतः इस लड़ाई में भारती वैज्ञानिकों और अनुसंधान संस्थानों को सब कुछ समर्पित कर विश्व को यह दिखाना चाहिए कि हम कोरोना वैक्सीन खोजने में सक्षम है ।इसी प्रकार जो किट टेस्टिंग के लिए चीन से आयात की जा रही है वह भी तत्काल देश में विकसित करने का काम वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थानों को करना चाहिए ताकि हम अपने पड़ोसी देशों से ,जिनके विश्व से केवल व्यापारिक हित हैं इस तरह की किट मंगाने के लिए वाध्य न होना पड़े।
कहते हैं अवस्था आविष्कार की जननी है इन संकट के क्षणों में जो अनुसंधान संस्थान अपनी संस्थाओं और वैज्ञानिकों की क्षमताओं का लक्ष्य परक समर्पण करेगा वह पूर्ण वैक्सीन खोज ही डालेगा। यह सच है कि *जो सोचता है वह खोजता है।* न्यूटन ने सेब के पेड़ के नीचे बैठकर केवल यही प्रश्न किया था की सेव का दाना नीचे क्यों गिरता है ऊपर क्यों नहीं जाता? इसी चिंतन से गुरुत्वाकर्षण के नियम का अंकुरण न्यूटन के मस्तिष्क में से हुआ। जेम्स वाट को केवल एक प्रश्न परेशान करता था कि चाय की केतली से निकलने वाली भाप में इतनी ताकत क्यों है? केतली के आगे कागज लगाता भाप की ताकत मापता । अपनी मां से हमेशा थप्पड़ खाता । और एक दिन भाप की शक्ति के चिंतन से उसने भाप का इंजन खोज निकाला और वह अमर हो गया। अतः समय लक्ष्य जनित चिंतन का है भारत के वैज्ञानिकों को यह कार्य 21 शताब्दी के भारत की शीर्ष प्राथमिकता में अवश्य ही शामिल करना चाहिए ताकि हम विश्व के अनुसंधान में हम अग्रणी बन सके।
अतः130 करोड़ के देश की भारतीय वैज्ञानिकों और अनुसंधान संस्थानों से अपेक्षा है कि वे जल्दी से जल्दी इस मिशन को पूरा कर भारत का नाम रोशन करें।कोरोना वैक्सीन का आविष्कार 21वी शदी के भारत को विश्व पटल पर नया स्थान देगा।
---डा. गिरिजा किशोर पाठक
सामाजिक /सामरिक विश्लेषक