छत्तीसगढ़ सरकार ने महात्मा गांधी रोज़गार गारंटी योजना में पूरे देश में सबसे अधिक मज़दूरों को काम देने का दावा किया है. भारत सरकार के शनिवार तक के आंकड़ों के अनुसार ई-मस्टर रोल में दर्ज संभावित कार्यशील मज़दूरों की संख्या छत्तीसगढ़ में 23,26,252 है. मज़दूरों की यह संख्या पूरे देश में सबसे अधिक है. इसके अलावा पिछले 9 दिनों में ही छत्तीसगढ़ ने 1 करोड़ 89 लाख मानव दिवस का रिकार्ड कायम किया है. हालांकि विपक्ष का आरोप है कि रोज़गार गारंटी योजना के अधिकांश काम कागजों में ही हो रहे हैं. दूसरी ओर सरकार का दावा है कि कोरोना के कारण मार्च के बाद से लागू लॉकडाउन के बीच जबसे रोज़गार गारंटी का काम शुरु हुआ है, तब से गांवों में कामकाज ज़ोरों पर है. कहीं तालाब खुद रहे हैं तो कहीं तालाबों को गहरा करने का काम चल रहा है. कहीं खेतों का सुधार हो रहा है तो कहीं लोग सड़कों के काम में लोग जुटे हुये हैं.
अप्रैल महीने में रोज़गार गारंटी में कार्यरत लोगों को कुल 548 करोड़ 41 लाख रूपए का मज़दूरी भुगतान भी किया गया.
रिकार्ड और आरोप शनिवार तक के उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि रोज़गार गारंटी योजना में ई-मस्टर रोल में दर्ज संभावित कार्यशील मज़दूरों की संख्या देश भर में 14,09,4,452 थी. इसमें आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के आंकड़े उपलब्ध नहीं थे. इस आंकड़े के अनुसार देश में सबसे अधिक 23,26,252 मज़दूर छत्तीसगढ़ में थे. दूसरे क्रम में राजस्थान था, जहां मज़दूरों की संख्या 22,75,541 थी. तीसरे नंबर पर उत्तरप्रदेश था, जहां संभावित कार्यशील मज़दूरों की संख्या 21,12,418 थी. देश में सबसे आगे पिछले महीने जब कुछ हिदायतों के साथ रोज़गार गारंटी योजना का काम शुरु किया गया, तब छत्तीसगढ़ में दूसरे किसी साल की तरह ही मज़दूरों की भागीदारी हुई. 1 अप्रैल को राज्य में रोज़गार गारंटी में कार्यरत मज़दरों की संख्या केवल 57 हज़ार 536 थी. लेकिन लॉकडाउन के दिन जैसे-जैसे बढ़ते गये, रोज़गार गारंटी योजना में काम करने वाले मज़दूरों की संख्या भी बढ़ती चली गई. "रोज़गार गारंटी योजना में सोशल डिस्टेंसिंग भी एक बड़ी चुनौती है. अगर आप छत्तीसगढ़ के आंकड़े देखें तो राज्य में लगभग 40 हज़ार काम चल रहे हैं यानी एक काम में औसतन 53 लोगों की भागीदारी है. कई जिलों में तो एक-एक काम में सौ-सौ से अधिक लोग लगे हुये हैं. इस आंकड़े को कम करने के लिये और अधिक काम शुरु करने की ज़रुरत है."