11 अप्रैल को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब देश भर के नेताओं से वीडियो कॉन्फ्रेंसंग के ज़रिए बात कर रहे थे उस वक्त वे घरेलू सफ़ेद मास्क इस्तेमाल कर रहे थे. इससे पांच दिन पहले, उनकी सरकार ने घनी आबादी वाले शहरों में रहने वाले लोगों से अपील की थी कि घर से बाहर निकलते वक्त कोरोना संक्रमण से सुरक्षा के लिए घरेलू मास्क का इस्तेमाल करें. मास्क के इस्तेमाल को लेकर भारत ने इससे पहले अलग नज़रिया अपनाया था, पहले सरकार की ओर से कहा गया था कि केवल संक्रमित लोगों को ही मास्क पहनना है. इस नीतिगत बदलाव और घरेलू मास्क के इस्तेमाल पर ज़ोर देने के पीछे एक महिला बायोकेमिस्ट की अहम भूमिका रही है. यह महिला वैज्ञानिक हैं 58 साल की शैलजा वी गुप्ता. शैलजा भारत सरकार में प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के ऑफिस में वैज्ञानिक हैं. उनका काम सरकार के लिए नीतियों को बनाना और तकनीक के बेहतर इस्तेमाल संबंधी सुझाव देना है.
मास्क के उपयोग पर बहस शैलजा ने बताया, "भीड़ भाड़ वाली जगह पर संक्रमण पर अंकुश के लिए घरेलू मास्क का उपयोग सही उपाय है. उदाहरण के लिए जो लोग झुग्गी झोपड़ियों में रहते हैं उन्हें तो सस्ता और आसान उपाय चाहिए. ऐसे में घरेलू मास्क लोगों को संक्रमण से बचा सकता है." वैसे दुनिया भर में बचाव के उपाय के लिहाज से घरेलू मास्क और दूसरे मास्क के उपयोग को लेकर बहस जारी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि मास्क पहनने से कोरोनो से बचाव के पक्ष में बहुत ज़्यादा सबूत नहीं मिले हैं.कोरोना से बुरी तरह प्रभावित अमरीका और ब्रिटेन जैसे देशों में भी मास्क का इस्तेमाल अनिवार्य कर दिया गया है. अमरीकी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने लोगों से उन सार्वजनिक जगहों पर घरेलू मास्क पहनने की सिफारिश की, जहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना मुश्किल हो. यह सलाह कम्युनिटी ट्रांसमिशन की आशंका वाले जगहों को ध्यान में रखकर दी गई है.
सस्ता उपाय है घरेलू मास्क शैलजा गुप्ता के मुताबिक़ घरेलू मास्क किसी भी रंग के नए या पुराने सूती कपड़े से बनाया जा सकता है. उनके मुताबिक़ नौ गुना सात इंच की साइज में काटे गए कपड़े में चार डोरियां लगाने भर से फेस मास्क तैयार हो जाता है. इस घरेलू मास्क के ज़रिए मुंह और नाक को ढंका जा सकता है. घरेलू मास्क को नियमित तौर पर साबुन और पानी से धोते रहना चाहिए. इसे फिर से इस्तेमाल करने लायक बनाना बहुत सस्ता है. दूसरी ओर प्लास्टिक फैब्रिक से बने डिस्पोजेबल सर्जिकल मास्क की कीमत दस रुपए है. डॉक्टरों और नौ के इस्तेमाल वाले एन95 मास्क की कीमत किसी दिहाड़ी मज़दूर के एक दिन की आमदनी से भी ज़्यादा 500 रुपए के करीब है.भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार के विजय राघवन ने बताया, "फेस मास्क की ज़रूरत को लेकर शैलजा की सोच स्पष्ट थी. उन्होंने अपनी टीम से एक प्रभावी मैन्युएल तैयार कराया. इस अभियान को आगे ले जाने को लेकर उनमें दृढ़ता भी थी, उनकी कोशिशों के चलते परिणाम साकारात्मक रहे."