हाउसिंग और शहरी मामलों के मंत्रालय ने इस बाबत प्रियंका गांधी को नोटिस भेजा है. प्रियंका गांधी से एसपीजी सुरक्षा वापस ले कर जेड प्लस सुरक्षा दी गई है. एसपीजी कवर में सुरक्षा के मद्देनजर सरकारी बंगले का प्रावधान थी, जेड प्लस में बंगले का प्रावधान नहीं है.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को 35 लोधी एस्टेट स्थित सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस दिया गया है. उन्हें एक अगस्त, 2020 तक बंगला खाली करने की मोहलत दी गई है. हाउसिंग और शहरी मामलों के मंत्रालय ने इस बाबत प्रियंका गांधी को नोटिस भेजा है. प्रियंका गांधी से एसपीजी सुरक्षा वापस ले कर जेड प्लस सुरक्षा दी गई है. एसपीजी कवर में सुरक्षा के मद्देनजर सरकारी बंगले का प्रावधान थी, जेड प्लस में बंगले का प्रावधान नहीं है. किन लोगों को लुटियस दिल्ली में आवास आवंटित किए जायेंगे इसको लेकर वर्ष 2000 के दिसंबर माह में ही आवास पर कैबिनेट की समिति ने दिशा निर्देश जारी किये थे. इस नए निर्देश के तहत ये तय किया गया था कि किसी भी निजी व्यक्ति को इन आवासों का आवंटन नहीं किया जाएगा. लेकिन इसमें एक अपवाद उस श्रेणी का रखा गया जिन्हें स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप यानी एसपीजी सुरक्षा मिली हुई थी. इन विशेष श्रेणी के लोगों के लिए भी कई एकड़ में फैले लुटियंस दिल्ली के बंगलों का किराया बाज़ार की दर से पचास गुना ज़्यादा रखा गया. वर्ष 2019 में सरकार ने संसद में एक विधेयक भी पारित कराया. इस विधेयक- सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत लोगों की बेदखली) संशोधन विधेयक, 2019 ने वर्ष 1971 में लाये गए विधेयक में कई संशोधन किये.
प्रियंका गांधी को आवंटित किये गए आवास को खाली कराने की कार्यवाही इसी विधेयक में मौजूद प्रावधानों के तहत की गयी. भारत सरकार के आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के अधीन संपदा निदेशालय ही लुटियंस दिल्ली स्थित इन आवासों का आवंटन करता है. लुटियंस दिल्ली के बंगलों में रहने के लिए हमेशा रसूखदार लोगों के बीच होड़ लगी रहती है. अपना कार्यकाल खत्म होने के बाद भी बहुत सारे ऐसे हैं जो बंगले खाली नहीं करना चाहते. इसी साल फरवरी माह में आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने वैसे आवासों या बंगलों की सूची बनायी जिनपर अनाधिकृत रूप से लोग रह रहे हैं. मंत्रालय को तब हैरानी हुई जब रिपोर्ट में पता चला कि इनकी संख्या 600 से कुछ कम बतायी जा रही है. जिसमे दो मौजूदा सांसद के अलावा भूतपूर्व सांसद, राजनीतिक दलों के कद्दावर नेता और ऐसे नौकरशाह भी शामिल हैं जो वर्ष 2001 में ही सेवानिवृत हो चुके हैं. इस आयोग ने लुटियस की दिल्ली में कई इलाक़ों को शामिल करने और कुछ इलाकों को इससे निकालने का प्रस्ताव अपनी रिपोर्ट में सरकार को सौंपा. कई पुराने बंगलों के विस्तार और एक मंज़िला घरों को दो मंज़िलों तक बनाने का प्रस्ताव भी इसमें शामिल है. सांसदों, मंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं या अधिकारियों और जजों के लिए अलग-अलग श्रेणी के बंगले या आवास चिन्हित हैं.
इन आवासों को टाइप IV से लेकर टाइप VIII तक की श्रेणियों में बांटा गया है. मौजूदा व्यवस्था की अगर बात की जाए तो पहली बार चुने गए संसद के सदस्यों को टाइप - IV का घर मिलता है. जिसमें चार बेडरूम और एक पढ़ने का कमरा और ड्राइंग रूम होता है. एक से ज़्यादा बार चुने गए सांसद या मंत्रियों को टाइप-VIII के बंगले आवंटित होते हैं जिसमें बगीचे भी होते हैं और काम करने वाले और सुरक्षाकर्मियों के लिए रहने का इंतज़ाम भी रहता है. इसलिए सूचना के अधिकार के तहत जानकारी हासिल करने वालों को ये विभाग जवाब नहीं दे पाता है, ये कहते हुए कि संसद का अपना संपदा विभाग अलग है जो इसकी जानकारी रखता है. लेकिन संसद के संपदा विभाग का कहना है कि उसके पास सिर्फ़ मौजूदा सदस्यों की ही जानकारी है. जिनके कार्यकाल खत्म हो गए हैं उनके बारे में कोई जानकारी नहीं है. उसी तरह हर मंत्रालय के अपने अलग-अलग पूल हैं और उनके अलग-अलग संपदा यानी एस्टेट विभाग, जिनके पास अलग-अलग जानकारियाँ हैं. सूचना और तकनीक की क्रांति के इस दौर में एक जगह पर इन सूचनाओं का ना होना किसी को भी हैरत में डाल सकता है.