खनिज विभाग के भ्रष्टाचार पर न्यायालय कलेक्टर बैतूल मौन
राजस्व न्यायालय में पक्षकार कलेक्टर के सामने अपनी वेदना बता रहे हैं। अधिवक्ता विधि, न्याय एवं मानवाधिकारों की दुहाई दे रहे हैं। राजनीतिक दल षिव सेना खनिज अपराध के झूठे मुकदमों पर मप्र सरकार को ज्ञापन दे चुकी हैं। राजस्व न्याय प्रणाली पर सवाल उठ रहे हैंराज्य सरकार अपने खनिज विभाग के विरूद्ध कुछ भी सुनना पसंद नहीं कर रहीं हैं। सरकार को तो खनिज के जुर्माने से ज्यादा मतलब हैं।
बैतूल। मप्र राज्य में खनिज अपराध के झूठे मुकदमों की संख्या में दिन प्रतिदिन वृद्धि हो रहीं हैं। राजस्व न्यायालय में पक्षकार कलेक्टर के सामने अपनी वेदना बता रहे हैं। अधिवक्ता विधि, न्याय एवं मानवाधिकारों की दुहाई दे रहे हैं। राजनीतिक दल षिव सेना खनिज अपराध के झूठे मुकदमों पर मप्र सरकार को ज्ञापन दे चुकी हैं। राजस्व न्याय प्रणाली पर सवाल उठ रहे हैंराज्य सरकार अपने खनिज विभाग के विरूद्ध कुछ भी सुनना पसंद नहीं कर रहीं हैं। सरकार को तो खनिज के जुर्माने से ज्यादा मतलब हैं। राजस्व न्यायालय को दिख रहा हैं कि खनिज अपराध का झूठा मुकदमा बनाया गया हैं, खनिज अपराध की घटना असंभव हैं, खनिजअपराध के पर्याप्त सबूत मौजूद नहीं हैं, खनिज निरीक्षक ने कानून की प्रक्रिया का पालन नहीं किया हैं, इसके बावजूद खनिज अदालते जुर्माना वसूली के लिए खनिज अपराध के झूठे मुकदमों में भी वाहन को मुक्त करने से इंकार कर रहीं हैं बल्कि अदालत में मुकदमें चलाए जा रहे हैं। संभाग आयुक्त से न्याय की मांग न्यायालय कलेक्टर बैतूल के रा0प्र0क्र0 199/अ67/2019-20 में तहसीलदार और पुलिस ने 24.11.2019 को जेसीबी मषीन को अवैध उत्खनन के अपराध में जप्त कर लिया था। वाहन स्वामी का पता लगाए बिना ही भारतीय जनता पार्टी के जिला पंचायत सदस्य पर खनिज अपराध का मुकदमा दर्ज कर लिया गया।
कारण बताओं नोटिस मिलने पर जिला पंचायत सदस्य को मालूम पड़ा कि उसके पास एक जेसीबी मषीन हैं जो कि अवैध उत्खनन में जप्त की गई हैंबचाव पक्ष के अधिवक्ता भारत सेन न्यायालय में सवाल उठाते हैं कि 75 घनमीटर खनिज जप्त नहीं किया गया हैं, खनिज का परिवहन करने वाले डम्परों का पता नहीं लगाया गया हैं, मुकदमा तो जेसीबी मषीन मालिक एवं चालक पर चलना चाहिए लेकिन कलेक्टर बैतूल राकेष सिंग द्वारा आपत्ति को खारिज कर दिया गया हैं जबकि वाहन स्वामी जेसीबी मषीन को सुपुर्दनामें पर मांग रहा हैं तो उसकी याचिका भी खारिज कर दी गई हैं। मप्र हाई कोर्ट के आदेष पर अब मामले की सुनवाई संभाग आयुक्त होषंगाबाद कर रहे हैंन्यायालय कलेक्टर बैतूल का रा0प्र0क्र0 0227/अ67/2019-20 में तहसीलदार शाहपुर द्वारा खनिज अपराध तब दर्ज कर लिया गया जबकि वाहन में ईटीपी मौजूद थी। तहसीलदार ने ईटीपी को विफल करने के लिए खनिज दस्तावेजो में 10 मिनट पहले की वाहन जप्ति दिखा दी गई हैं।
अधिवक्ता भारत सेन की आपत्ति हैं कि अवैध परिवहन के वीडियोग्राफिक साक्ष्य मौजूद नहीं हैं जिससे सही समय का निर्धारण किया जा सकें,नियम के तहत मुकदमा तो वाहन स्वामी पर चलना चाहिए लेकिन चल किसी और पर रहा हैं, वाहन पहले से पुलिस थाने में जप्त था तो फिर सरकारी खदान से ईटीपी जारी कैसे हो गई? तहसीलदार की जांच में तमाम वैधानिक दोष मौजूद हैं लेकिन कलेक्टर न्यायालय ने आपत्ति को खारिज कर दिया हैं अब मामला संभाग आयुक्त होषंगाबाद की अदालत में पहुंच चुका हैं। कानून के दायरे के बाहर सुनवाई करती अदालत मामत न्यायालय कलेक्टर बैतल को अपने सुनवाई के क्षेत्राधिकार का भी ज्ञान नहीं हैं। खनिज विभाग बैतूल कोई मामला पेष करता हैं तो कलेक्टर न्यायालय उस पर कारण बताओं सूचना पत्र जारी कर देती हैं। न्यायालय कलेक्टर बैतूल का रा0प्र0क्र0 007/अ67/2020-21 एवं 0009/अ-67/2020-21 में खनिज विभाग बैतल द्वारा कोयले के अवैध परिवहन का मामला खान एवं खनिज अधिनियम 1957 की धारा 4/21 (1) लिए पेष कर दिया गया हैं।
बचाव पक्ष के अधिवक्ता भारत सेन की आपत्ति हैं कि खान एवं खनिज अधिनियम 1957 में पेनाल्टी आरोपित करने का क्षेत्राधिकार केवल विषेष न्यायालय, सत्र न्यायालय बैतूल को प्राप्त हैं। खनिज विभाग को वाहन स्वामी का कुछ पता नहीं हैं, कोयला के उत्खन्न स्थल का पता नहीं हैं, उत्खन्न करवाने वाले का कुछ पता नहीं हैं? जाहिर हैं कि मामले में एक बड़ा भ्रष्टाचार तो हुआ हैं लेकिन राजस्व न्यायालय में अपराध की जांच में षिथिलता को गंभीरता से लिए जाने का चलन नहीं हैंहाई कोर्ट के फैसलो की अनदेखी मप्र राज्य में खनिज अपराध के मामलों में मप्र हाई कोर्ट ने गंभीरता दिखाते हुए कुछ महत्वपूर्ण निर्णय दिए हैं जिसका पालन बैतूल में खनिज विभाग नहीं कर रहा हैं तो न्यायालय कलेक्टर बैतूल भी इसे गंभीरता से नहीं ले रही हैं।
खनिज अपराध के मामलों को राजस्व मप्र हाई कोर्ट के रामकुमार साहू विरूद्ध मप्र राज्य 2018 (4) एमपीएलजे 171 के पैरा 24 में मप्र गौण खनिज नियम 1996 मं राजस्व वसूली को खान एवं खनिज अधिनियम 1957 में दांडिक कार्यवाही का विकल्प नहीं बताया गया हैं। हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने विविद दांडिक प्रकरण क्र0 49338/2019 में मप्र रेत नियम के तहत दर्ज राजस्व प्रकरणों में खान एवं खनिज अधिनियम 1957 के तहत दांडिक कार्यवाही को आवष्यक बताया हैं। याचिका क्र0 3988/2019 में खनिज अपराध की जांच में लापरवाही एवं उपेक्षा के लिए प्रमुख सचिव खनिज साधन विभाग को जांच अधिकारी के विरूद्ध कार्यवाही के निर्देष दिए गए थे। न्यायालय कलेक्टर बैतूल को इन मामलों की जानकारी अधिवक्ता द्वारा दी गई हैं लेकिन खनिज विभाग बैतूल अब भी मामलों को केवल राजस्व वसूली के लिए अदालत में पेष कर रहा हैं जबकि पहले मामला तो खान एवं खनिज अधिनियम 1957 में विषेष न्यायालय में पेष किया जाना वैधानिक रूप से आवष्यक हैं