हाईकोर्ट के निर्देषों का खनिज विभाग में पालन नहीं खनिज अपराधियों अपराधियों पर दांडिक कार्यवाही नही ।


खनिज अपराधियों के विरुद्ध दांडिक कार्यवाही नहीं किए जाने के कारण कारण खनिज अपराध में लगातार वृद्धि हो रहीं हैं।


बैतूल। मप्र राज्य में खनिज अपराध के बढ़ते मामलो को लेकर एक तरफ जहां पर मप्र हाई कोर्ट ने गंभीरता दिखाई हैं वही पर दूसरी ओर प्रदेष का खनिज साधन विभाग खनिज अपराधियों के विरुद्ध दांडिक दांडिक कार्यवाही पर मौन साधे हुए हैं। हाई कोर्ट के निर्देषों के बावजूद खनिज अपराधियों पर खनिज विभाग की कार्यवाही केवल राजस्व न्यायालय तक सीमित हैं। खनिज अपराधियों के विरुद्ध दांडिक कार्यवाही कार्यवाही नहीं किए जाने के कारण खनिज अपराध में लगातार वृद्धि हो हो रही हैं। हाई कोर्ट खनिज अपराधियों के विरुद्ध दांडिक कार्यवाही के निर्देष दे चुका हैं तो वही पर खनिज विभाग चाहता हैं कि अपराध घटित होता रहे और राजस्व जमा करके अपराधी छूटते रहें।


भारत सरकार ने खनिज अपराध को नियंत्रित करने के लिए खान एवं खनिज अधिनियम 1957 बनाया हुआ हैं। खनिज का अवैध उत्खन्न एवं परिवहन के लिए अधिनियम की धारा 421 में 5 लाख तक का जुर्माना एवं 5 वर्ष तक के कारावास का दण्ड का प्रावधान हैं। खनिज के राजस्व की वसूली के लिए मप्र रेत नियम 2019 में राज्य सरकार ने नियम बना रखे हैं। कानून और नियम के अनुसार खनिज अपराध में दांडिक कार्यवाही सत्र न्यायालय में होगी तथा राजस्व की वसूली का मामला राजस्व न्यायालय में चलेगा। खनिज विभाग बैतूल खनिज अपराध के मामलों का नाटकीय नाटकीय तरीके से राजस्व न्यायालय से निराकरण करवा लेता हैं। खनिज विभाग एक ऐसा पुलिस थाना हैं जहां पर खनिज अपराध के मुकदमों के दस्तावेज तैयार किए जाते हैंए खनिज अपराधियों को कानूनी परामर्ष दिया जाता हैं। खनिज अपराधी जुर्माना जमा करते हैं और वाहन मुक्त हो जाता हैं। खनिज विभाग और खनिज अपराधियों के मधुर संबंधों के चलते राजस्व न्यायालय में खनिज विभाग की कार्यवाही को कोई वैधानिक चुनौती यदा कदा दी जाती हैं ज्यादातर मामलों में खनिज अपराधी अपने बचाव के लिए अधिवक्ता नियुक्त करते हैं। ___हाई कोर्ट की इन्दौर खंडपीठ ने विविद दांडिक याचिका क्र० 4933842019 में खान एवं खनिज अधिनियम 1957 की धारा 421 के तहत दांडिक कार्यवाही को आवष्यक बताया गया हैं। हाई कोर्ट का तर्क तर्क हैं कि अधिनियम की धारा 15 एवं 23 ;सी) के तहत मप्र गौण खनिज नियम राज्य सराकर द्वारा बनाए गए हैं। इसलिए खनिज अपराध के मामलों में खान एवं खनिज अधिनियम 1957 की दांडिक कार्यवाही का कोई विकल्प गौण खनिज नियम 53 नहीं हो सकता हैं। अधिनियम में दांडिक और नियम में राजस्व वसूली दोनो में कार्यवाही एक साथ चलना चाहिए।


न्यायालय कलेक्टर बैतूल की अदालत में खनिज अपराध के विचाराधीन मामलों में ऐसा तो नहीं हो रहा हैं। खनिज अपराध के मामलों में दांडिक कार्यवाही नहीं हो रहीं हैं केवल राजस्व की वसूली चल रहीं हैंकानून में भले ही खनिज का उत्खन्न एवं परिवहन एक दांडिक अपराध हैं लेकिन बैतूल जिले में काम तो केवल गौण खनिज नियम से चल रहा हैंखनिज विभाग बैतूल ने वर्ष 2019 के पहले और और बाद में खनिज अपराध का एक भी मामला दांडिक न्यायालय में पेष नहीं किया हैंराजस्व न्यायालय और खनिज विभाग हाई कोर्ट के निर्देष आने के बाद भी ठीक उसी तरह से काम कर रहे हैं जैसा कि पहले किया करते थें। कानून को लागू करने के लिए नियम बनाए जाते जाते हैं लेकिन खनिज अपराध के मामलों में खनिज कानून अपना काम नहीं कर रहा हैं केवल खनिज नियम अपना काम कर रहे हैं


 


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