मेहगांव : “हेमन्त” के सामने धमाकेदार आगाज बनाए रखने की चुनौती अरुण पटेल

भाजपा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ चल रहे चार वाहनों का काफिला उसमें फंस गया और आगे निकलने के लिए उसे काफी मशक्कत करना पड़ी।


मेहगांव विधानसभा क्षेत्र में बड़ी कश्मकश और जद्दोजहद के बाद कांग्रेस उम्मीदवार घोषित होते ही हेमन्त कटारे यहां आये तो उनके साथ-साथ वाहनों का इतना बड़ा काफिला चल रहा था कि भाजपा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ चल रहे चार वाहनों का काफिला उसमें फंस गया और आगे निकलने के लिए उसे काफी मशक्कत करना पड़ी। हेमन्त कटारे का आगाज तो धमाकेदार हो गया है लेकिन अब उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि इस माहौल को चुनाव प्रचार के अंतिम समय तक बनाये रखकर उसे मतदान के दिन वोटों में तब्दील कराए। वैसे तो मेहगांव में कई उम्मीदवार हो सकते हैं लेकिन असली चुनावी लड़ाई त्रिकोणीय होगी जिसमें शिवराज सरकार के राज्यमंत्री और पूर्व कांग्रेस विधायक ओपीएस भदौरिया भाजपा उम्मीदवार होंगे तो उन्हें कांग्रेस के युवा चेहरे हेमन्त कटारे तथा बहुजन समाज पार्टी के योगेश मेधा सिंह नरवरिया का सामना करना पड़ेगा। वहीं सवर्ण समाज पार्टी ने दीपक सिंह कुशवाह को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। भाजपा के ओपीएस भदौरिया को यदि मंत्री बने रहना है तो उन्हें यह उपचुनाव जीतना जरुरी है। देखने वाली बात यही होगी कि क्या वे अपनी सीट बचाने में सफल हो पायेंगे। उन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस पार्टी छोड़कर भाजपा की सदस्यता ले ली थी इस कारण यहां उपचुनाव हो रहा हैभिण्ड ऐसा जिला है जो सामान्यत: सिंधिया राजघराने के पारिवारिक असर वाला नहीं माना जाताए यहां के लोग तीखे व तल्ख तेवरों के कारण अलग से पहचाने जाते हैं। यहां तक कि भिण्ड लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के पूर्व घटक जनसंघ के टिकट पर लोकसभा चुनाव सिंधिया राजघराने की बेटी और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे कांग्रेस के उम्मीदवार से हार चुकी हैं।


जहां तक भाजपा उम्मीदवार भदौरिया का सवाल है उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती भाजपा के पुराने नेताओं व कार्यकर्ताओं को अपने पाले में सक्रिय करने की है जो बदली हुई परिस्थितियों में भदौरिया को सहजता से स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। दलबदल का भदौरिया को यह पुरस्कार मिला कि सिर्फ 15 महीने की विधायकी में वे राज्यमंत्री बन गये लेकिन पद पाने से ही उनकी उपचुनाव की राह पूरी तरह आसान हो गयी है ऐसा नहीं कहा जा सकता। अब देखने वाली बात यही होगी कि उन्हें अपने कांग्रेस के पुराने मित्रों का कितना सहारा मिलता है ताकि उनकी चुनावी वैतरणी पार हो सके। यह राजनीति की पुरानी परिपाटी है कि चुनौतियां और विरोधी छुपकर वार करते हैं और कभी-कभी इसका उस समय पता चलता है जब करने के लिए हाथ में कुछ नहीं रहता। ऐसा नहीं है कि यह केवल भाजपा में हो रहा है कांग्रेस में भी दुश्वारियां कम नहीं हैं। कांग्रेस की टिकट के दावेदार और कमलनाथ की पसंद पूर्व विधायक चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी रहे हैं और सर्वे में भी उनका नाम सबसे ऊपर बताया गया था। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंहए पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंहए पूर्व मंत्री व वरिष्ठ विधायक डॉ. गोविंद सिंह तथा भिण्ड जिला कांग्रेस के कुछ पदाधिकारी के विरोध के चलते अंतत: जैसी कि संभावना थी


कांग्रेस टिकट पूर्व विधायक हेमन्त कटारे को मिल गयी। चूंकि राकेश को टिकट नहीं मिली और उनके बदले में कटारे को टिकट मिली इसलिए कटारे को ठाकर लॉबी का भी समर्थन मिलने की संभावना जहां तक कटारे का सवाल है तेजतर्रार युवा नेता हैं और इससे भी बड़ी बात यह है कि वह कांग्रेस के इस इलाके में बड़ा ब्राह्मण चेहरा रहे पूर्व मंत्री तथा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रह चुके स्व. सत्यदेव कटारे के बेटे हैं और उन्हें अपने पिता के संपर्कों का भी फायदा मिल सकता है। पिता के निधन के बाद अटेर में हुए उपचुनाव में हेमन्त कटारे विधायक बने थे लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के अरविन्द भदौरिया से अटेर में चुनाव हार गयेए जिन्हें उन्होंने उपचुनाव में कड़े संघर्ष के बाद पराजित किया था। इस समय जिले की जो परिस्थितियां हैं उसमें एक भी विधायक ब्राह्मण नहीं है इसका फायदा कटारे को मिलता दिख रहा है और यहां ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या ठाकुर मतदाताओं से काफी अधिक है। यहां जीत-हार का समीकरण इस बात पर निर्भर करता है कि कौन अन्य जातियों के मत अपने साथ जोड़ पाता है और बहुजन समाज पार्टी किसके मतों में सेंध लगाती है। वैसे चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी कह चुके हैं कि यहां के नेता भले ही मुझे कांग्रेस में ना मानते हों लेकिन मैं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ हूं और पार्टी कहेगी तो मैं यहां प्रचार भी करूंगा।


गोहदए भिण्डए अम्बाहए लहार और अटेर विधानसभा क्षेत्र से घिरे मेहगांव की चुनावी तासीर अन्य क्षेत्रों से जुदा है और हर बार यहां के मतदाता चमत्कारी परिणाम देते रहे हैं। यह देखने 25 हजार 818 मतों के भारी अन्तर से कांग्रेस प्रत्याशी के रुप में भाजपा के राकेश शुक्ला को पराजित करने वाले ओपीएस भदौरिया को कांग्रेस के युवा उम्मीदवार हेमन्त कटारे चुनाव में पटकनी देकर चमत्कारिक परिणाम देने वाली परम्परा को क्या कायम रख पायेंगे। भदौरिया के पक्ष में प्रचार किया जा रहा है कि पहली बार मंत्रिमंडल में मेहगांव को प्रतिनिधित्व मिला है और दुग्ध महासंघ से जोड़कर वे रोजगार बढ़ायेंगे तथा कुटीर उद्योगों का जाल फैलाकर सृजनात्मक क्षमता पैदा करेंगेवहीं कांग्रेस के कटारे के पक्ष में मतदाताओं को यह भरोसा दिलाया जा रहा है कि वे पेयजल संकट से निजात दिलाकर मीठा पानी उपलब्ध करायेंगेए हर घर में बिजली की व्यवस्था होगी सिंचाई सुविधाएं बढ़ाने पर उनका जोर रहेगा तथा रोजगार के साधन उपलब्ध कराये जायेंगे


और अन्त में--


पिछले पांच चुनावों का यहां का रिकार्ड देखा जाए तो तीन बार भारतीय जनता पार्टी और एक बार कांग्रेस और एक बार निर्दलीय ने जीत का परचम लहराया है। 1998 में भाजपा के राकेश शुक्ला ने कांग्रेस के हरीसिंह को 4304 मतों के अन्तर से पराजित कर यह सीट जीती तो 2003 में निर्दलीय मुन्ना सिंह ने भाजपा के राकेश शुक्ला को 4362 मतों के अन्त से चुनाव हराया। 2008 में भाजपा के राकेश शुक्ला ने आरएसएमडी के रायसिंह भदौरिया को 5344 मतों से शिकस्त दी 2013 के चुनाव में चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी के भाई चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी भाजपा ने कांग्रेस के ओपीएस भदौरिया को 1273 मतों के अन्तर से पराजित किया। 2018 में कांग्रेस के ओपीएस भदौरिया ने भाजपा के राकेश शुक्ला को 25 हजार 818 मतों के अन्तर से पराजित किया। इस उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने बड़ी उम्मीद से योगेश मेधा सिंह नरवरिया को चुनाव मैदान में उतारा है ताकि मुकाबले को त्रिकोणीय बनाया जा सके। बसपा ने सत्ता की चाबी अपनी मुट्ठी में कैद करने के लिए उन्हें मैदान में उतारा तो है लेकिन देखने वाली बात यही होगी कि वे उपचुनाव में सफल हो पाते हैं या नहीं। वैसे पिछले पांच चुनावों में से तीन चुनाव जीतने वाले उम्मीदवार ब्राह्मण समाज के थे और इस चुनाव में कांग्रेस ने इसी समाज के कटारे को चुनाव मैदान में उतारा है।


 


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