मनहरण घनाक्षरी ****************** लाल लाल बाल मेरो गोविन्द गोपाल जैसो - श्रीमती माधुरी सोनी *मधुकुँज* आलीराजपुर

मनहरण घनाक्षरी ****************** लाल लाल बाल मेरो गोविन्द गोपाल जैसो रूप अपलक तित देखूं जौ निहारूँ में काली घटा घुंघराली माथे चूमे जैसे कोई नखराली बदरी की अलकें सिमटी हें l लाल होंठ श्याम तन पीरी सी कछौटी अंग मोरपंख भी ललाट सूंदर सिंगार है । ऐसो लाल पलना में झूले सखी देखो आओ लेकर बलैया जाओ नजर उतार के l प्रेम रस केसो अति वात्सल्य छवि में बसे दीनन की सुध बुध सभी बिसराई में l सूर श्याम अलबेली जगत की माया ऐसी लीला न्यारी विधाता ने माया क्या रचाई है l बाल लीला अति न्यारी जो देखे हो बलिहारी परम् आनन्द सुख जगत रिझायो हे l मधुकुँज शोभा ऐसी छवि को विलोकत ज्यों, मंद मंद मन में ही खूब मुस्काई हे ।। स्वरचित


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