कोरोना संकट के कारण अमरीका में बेरोज़गारी में अचानक बेतहाशा बढ़ोतरी देखने को मिली है. अमरीका में पिछले हफ्ते तीस लाख अधिक लोगों ने खुद को बेरोज़गार के तौर पर पंजीकृत करवाया है. अमरीका के श्रम विभाग के आंकड़े चौंकाने वाले इसलिए हैं क्योंकि पहले कभी इतनी बड़ी संख्या में लोगों ने खुद को बेरोज़गारी भत्तों और अन्य लाभों के लिए पंजीकृत नहीं करवाया था. इससे पहले 1982 में बड़ी संख्या में बेरोज़गारों की संख्या बढ़ी थी. मगर उस दौरान 6 लाख 95 हज़ार लोगों ने ही बेरोज़गार के तौर पर अपना पंजीकरण करवाया था. हालांकि बुधवार देर रात दो ट्रिलियन के आर्थिक सहायता पैकेज पर अमरीकी संसद के ऊपरी सदन सीनेट ने मुहर लगा दी है. यह अमरीकी इतिहास का सबसे बड़ा राहत पैकेज है.
ख़राब होते हालात
इस साल चार फ़रवरी को अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने अपने संबोधन में कहा था, "नौकरियों में इज़ाफ़ा हो रहा है, गरीबी दूर हो रही है. अपराध दर में गिरावट आई है. लोगों में आत्मविश्वास जाग रहा और देश समृद्धि की ओर बढ़ रहा है." ट्रंप अमरीका की 21.44 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था को लेकर काफी उत्साहित नज़र आ रहे थे. अगर इसे चीन की 14.4 ट्रिलियन की जीडीपी, भारत की 2.8 ट्रिलियन की जीडीपी और पाकिस्तान की 320 अरब की जीडीपी के संदर्भ में देखें तो निश्चित तौर पर यह उत्साह बढ़ाने वाला है. लेकिन उस दौरान चीन में वायरस से मरने वालों की संख्या 500 तक पहंच चुकी थी और हजारों लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके थे और अमरीका में यह संकट तब तक उतने गंभीर स्तर तक नहीं पहुंचा था. अभी ज़्यादा वक़्त नहीं गुजरा था जब अमरीकी शेयर मार्केट ने नई ऊंचाइयों को छुआ था. बेरोज़गारी दर 3.6 फीसदी के साथ 50 सालों के अपने न्यूनतम स्तर पर थी.
अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाला असर काफ़ी भयानक?
व्यापार, स्कूल, खेल-कूद के आयोजन सभी कुछ बंद पड़े हुए हैं. आर्थिक गतिविधियों पर लगाम लग गई है. स्टॉक मार्केट का बुरा हाल हो रखा है. खाली पड़ी सड़कें, मॉल, उड़ानें और ट्रेन सब ठप हैं. 'अर्थव्यवस्था का कबाड़ा निकल गया है या फिर 'अर्थव्यवस्था धाराशायी हो गई है जैसी बातें हो रही हैं. निवेशक रे डेलीयो ने सीएनबीसी के साथ एक इंटरव्यू में कहा है, "जो हो रहा है, वैसा हमारी जिंदगी में कभी नहीं हुआ था. यह संकट का समय है. रे डेलीयो के आकलन के मुताबिक कोरोना वायरस की वजह से अमरीका को करीब चार ट्रिलियन डॉलर का नुकसान होने की आशंका है और बहुत सारे लोग बर्बाद होने वाले हैं. जॉब वेबसाइट करियर बिल्डर के 2017 के सर्वे के मुताबिक़ 78 फ़ीसदी अमरीकी कामगार अपनी ज़रूरतों के लिए हर महीने मिलने वाले पे-चेक पर निर्भर रहते हैं. हर चार में से एक कामगार हर महीने किसी भी तरह की कोई बचत नहीं करता.
डूब रही है अर्थव्यवस्था
गोल्डमैन सैक्स के अर्थशास्त्रियों ने मंदी का अनुमान लगाया है. पहली तिमाही की जीडीपी में छह फीसदी की गिरावट के बाद दूसरी तिमाही में 24 फीसदी की बड़ी गिरावट का अनुमान है. यह आकड़े काफी चौंकाने वाले हैं. बैंकिंग सेक्टर की एक बड़ी कंपनी जेपी मॉर्गन ने अपने एक विश्लेषण में कहा है, "पहली तिमाही में चार फ़ीसदी के बाद दूसरी तिमाही में अमरीकी अर्थव्यवस्था में 14 फीसदी की गिरावट दर्ज होने का अनुमान है तो वहीं तीसरी तिमाही में यह आठ फीसदी और चौथी तिमाही में चार फीसदी की भारपाई करने में कामयाब मिलेगी." जेपी मॉर्गन के मुख्य अर्थशास्त्री माइकल फेरोली के आकलन के मुताबिक, "आने वाले हफ्तों में अमरीका में नौकरी जाने वालों की शुरुआती संख्या चार लाख को पार करने वाली है." बैंक ऑफ अमरीका के अर्थशास्त्री मिशेल मेयेर ने लिखा है, "हम आधिकारिक तौर पर इस बात की घोषणा करते हैं कि हमारी अर्थव्यवस्था मंदी के दौर में जा चुकी है और हम बाकी दुनिया के साथ उसी कतार में खड़े हो चुके हैं. हम गहरे संकट में जा चुके हैं."
स्विट्जरलैंड की निवेशक कंपनी यूबीएस के मुताबिक दूसरी तिमाही के दौरान अमरीकी अर्थव्यवस्था में बड़ी गिरावट दर्ज होने वाली है तो वहीं कोरोना वायरस की वजह से पहली छमाही में गहरी मंदी का दौर रहने वाला है. स्विस बैंकिंग कंपनी टाइटन के मुताबिक अमरीकी अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर पहली तिमाही के दौरान -2.1 फीसदी तक पहुंच जाएगी और दूसरी तिमाही में 10 फ़ीसदी की गिरावट होगी. जाहिर तौर पर अर्थव्यवस्था में आई गिरावट का सीधा असर नौकरियों पर पड़ने वाला है. बैंक ऑफ अमरीका के अनुमान के मुताबिक बेरोजगारी दर दोगुना होने वाला है और हर महीने करीब दस लाख नौकरियां जाने वाली हैं. इस हिसाब से दूसरी तिमाही में करीब पैंतीस लाख नौकरियां जाने वाली हैं. एनालिसिस कंपनी ऑक्सफोर्ड इकॉनॉमिक्स ने अनुमान लगाया है कि यात्राओं के रद्द होने की वजह से करीब 46 लाख नौकरियां जाएंगी. रिपोर्ट के मुताबिक, "यात्राओं पर होने वाला 355 अरब डॉलर का खर्च इस साल यात्राओं के रद्द होने से नहीं हो पाएगा. नतीजतन अमरीकी अर्थव्यवस्था में इसकी वजह से 809 अरब डॉलर का नुकसान होगा. यह नुकसान 9/11 की घटना के बाद होने वाले इस मद के नुकसान से छह गुना ज्यादा है." रिपोर्ट में आगे लिखा है, "हम अमरीका की अर्थव्यवस्था में सिर्फ़ यात्राओं को होने वाले नुकसान के आधार पर मंदी के दौर में जाने की बात कह सकते हैं. "
अमरीकी इतिहास का सबसे बड़ा राहत पैकेज
एयरलाइन्स उद्योग से जुड़े ट्रेड संगठन एयरलाइन्स फॉर अमरीका ने रिपब्लिकन और डेमोक्रेट दोनों को लिखे एक पत्र में गुहार लगाई कि संसद में वित्तीय पैकेज पारित किया जाए ताकि साढ़े सात लाख नौकरियों को बचाया जा सके. लेकिन जो बात साफ़ तौर पर नज़र आ रही है, वो यह है कि मौजूदा संकट से सबसे ज्यादा गरीब, कम आमदनी वाले और बेघर लोग प्रभावित होने वाले हैं. ये वो तबका है, जिसका न कोई बीमा हो रखा होता है, न किसी तरह की छुट्टी होती है इनके पास और अच्छी मेडिकल सुविधाएँ इनकी पहुँच से बाहर होती हैं. 2018 के एक आकलन के मुताबिक करीब पौने तीन करोड़ लोगों के पास अमरीका में कोई स्वास्थ्य बीमा नहीं हैं. यह तादाद पूरी आबादी का साढ़े आठ फीसदी है.
इससे भी ज़्यादा बुरा दौर आएगा?
रिपोर्ट के मुताबिक "अमरीका में आर्थिक असमानता आमदनी और संपदा के नस्लीय बंटवारे के साथ जुड़ी हुई है. करीब 21 फ़ीसदी काले लोग और 18 फीसदी हिस्पैनिक लोग यहां गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं. वहीं गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले सिर्फ आठ फ़ीसदी गोरे लोग राष्ट्रपति ट्रंप ने वायरस को 'अदृश्य शत्रु बताया है. उन्होंने उम्मीद जताई है कि ईस्टर के मौके पर देश पूरी तरह से खुला रहेगा और हम पुराने अच्छे दिनों की तरफ लौटेंगे. अर्थव्यवस्था और नौकरियों पर पड़ने वाले बुरे असर को देखते हुए कई लोगों का मानना है कि पाबंदियों में छूट देनी चाहिए और नौजवान जिन्हें थोड़ा कम खतरा है, उन्हें काम पर लौटना शुरू करना चाहिए. ज़्यादातर उम्रदराज लोग इस वायरस से प्रभावित हो रहे हैं लेकिन मृतकों और संक्रमित लोगों की संख्या में इजाफ़े को देखते हुए यह आसान फैसला नहीं होगा. क्योंकि ऐसा भी माना जा रहा है कि अभी संक्रमण का और बुरा दौर आना बाकी है.